सुरक्षाः त्रिवेन्द्र सरकार का बड़ा फैसला, अब निजी अस्पतालों में असीमित सीमा तक मुफ्त इलाज करवा पाएंगे सरकारी कर्मचारी

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने एक अहम निर्णय लिया है, जिसमें अब प्रदेश के समस्त सरकारी कर्मचारियों के लिए निजी अस्पतालों में इलाज कराना आसान बना दिया है. राज्य सरकारी कर्मचारी अब स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम यानी SGHS (State Government Health Scheme) सीजीएचएस के तहत इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। उत्तराखंड सरकार ने अटल आयुष्मान योजना में प्रदेश के तीन लाख कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को असीमित खर्चे पर कैशलेस इलाज की सुविधा दे दी है। शासन ने इसका शासनादेश जारी कर दिया है। योजना में कर्मचारियों, पेंशनरों के लिए रेफर करने की शर्त नहीं होगी।

योजना का संचालन आयुष्मान भारत/ अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अन्तर्गत किया जायेगा। उत्तराखंड शासन द्वारा जारी नई अधिसूचना के मुताबिक, राज्य सरकारी कर्मचारियों को अब सीजीएचएस अस्पतालों की तरह अब निजी अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा प्रदान की जाती है।

दरअसल इससे पूर्व राज्य सरकार द्वारा यू हैल्थ स्कीम के माध्यम से कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके आश्रितों को चिकित्सा सुविधा मुहैया करायी जाती थी। लेकिन इस योजना में कई खामिया थी। यह सुविधा कुछ खास शहरों तक ही सीमित है.सीजीएचएस के तहत लाभ पाने वालों के लिए नियमों में संशोधन इसलिए किया गया है, ताकि सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का बोझ कम हो. साथ ही राज्य कर्मचारियों को वक्त पर माकूल इलाज मिल सके. नए नियम ने मरीजों को निजी अस्पताल में रेफर कराने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है. इसके अलावा राज्य कर्मचारियों को अब विशिष्ट रोगों के इलाज के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा, क्योंकि सीजीएचएस ने इसके लिए निजी अस्पतालों की एक सूची बनाई है. सीजीएचएस की इस सूची में निजी अस्पतालों की फीस की रेट लिस्ट का भी जिक्र किया गया है.

क्या हैं मौजूदा नियम

मौजूदा नियमों के मुताबिक, हर राज्य कर्मचारी को एक यू हैल्थ कार्ड मिलता है, जिसके जरिए उसे सरकारी अस्पतालों में नि शुल्क इलाज की सुविधा मिलती है. साथ ही सीजीएचएस की सूची में शामिल निजी अस्पतालों में इलाज कराने पर उस अस्पताल की फीस में छूट मिलती है.

लेकिन निजी अस्पताल में छूट का लाभ पाने के लिए कर्मचारियों को रेफरल की मुश्किल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था. निजी अस्पताल में रेफर कराने के लिए मरीज को अस्पताल से एक रेफरल लेटर प्राप्त करना जरूरी था. इस रेफरल लेटर में मरीज का नाम लिखा होना अनिवार्य हुआ करता था. अब नया नियम न सिर्फ इस जटिल प्रक्रिया को खत्म कर देगा, बल्कि मरीजों को सीजीएचएस की सूची में शामिल कुछ खास निजी अस्पतालों में विशिष्ट रोगों के इलाज की सुविधा भी प्रदान करेगा.

नई अधिसूचना के मुताबिक, यह फैसला लिया गया है कि, सीजीएचएस के लाभार्थी राज्य कर्मचारियों को अब SGHS (State Government Health Scheme) सीजीएचएस की दर सूची के तहत आने वाले निजी अस्पतालों में इलाज कराने की अनुमति प्रदान की जाती है. सीजीएचएस लाभार्थियों को अब निजी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए राज्य सरकार के खास अस्पतालों के विशेषज्ञ डॉक्टरों, मेडिकल ऑफिसर या अन्य किसी के रेफरल लेटर (अनुमति पत्र) की आवश्यकता नहीं है.।

उत्तराखंड राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री डाॅ सोहन सिंह माजिला ने बताया कि, पहले निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए उन्हें यू हैल्थ के माध्यम से अस्पताल से एक रेफरल लेटर लेना पड़ता था, ऐसे में रेफरल लेटर प्राप्त करना अक्सर एक मुश्किल काम बन जाता था।
माजिला के मुताबिक, रेफरल लेटर पाने के लिए राज्य कर्मचारी को आमतौर पर डॉक्टर के यहां दो-तीन दिन चक्कर लगाने पड़ते हैं. इस दौरान रेफरल लेटर पाने के लिए उसे डॉक्टर का मान-मनौव्वल भी करना पड़ता है. लेकिन अब नए नियम से ये समस्या दूर हो जाएगी, क्योंकि अब रेफरल की कोई आवश्यकता ही नहीं होगी।

गौर करने वाली बात ये है कि, नया नियम अब राज्य कर्मचारियों को सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज की सुविधा मुहैय्या कराएगा.

कैसे मिलेगा नए नियमों का फायदा

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय उत्तराखंड की अधिसूचना के मुताबिक, सीजीएचएस की सूची में शामिल निजी अस्पताल अब राज्य कर्मचारियों व पेंशनभोगियों व सीजीएचएस लाभार्थियों और उनके आश्रितों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान करेंगे। लेकिन सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में इलाज शुरू कराने से पहले मरीज को वहां सरकारी अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन (चिकित्सा विधि) को दिखाना होगा, या सीजीएचएस के किसी मेडिकल ऑफिसर का प्रमाण पत्र दिखाना होगा. इसके अलावा मरीज को निजी अस्पताल में कराए गए इलाज का बिल अपने विभाग के सक्षम अधिकारियों के सामने प्रस्तुत करना होगा।

उर्जा कामगार संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष दीपक बेनिवाल ने दस्तावेज को बताया कि, इससे पहले निजी अस्पतालों में इलाज कराने पर उन्होंने केवल अस्पताल की फीस में छूट का लाभ ही उठाया है, लेकिन अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय उत्तराखंड की नई अधिसूचना के बाद वो निः शुल्क इलाज का लाभ उठा पाएंगे। बेनिवाल के मुताबिक, पहले के नियम के अनुसार, सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में इलाज के लिए कार्ड्स के साथ डिस्काउंट (छूट) का लाभ उठा सकते थे. लेकिन अब हम चाहे सरकारी अस्पताल में इलाज कराएं या निजी अस्पताल में, उससे इलाज के खर्चे में कोई अंतर नहीं आएगा. यानी अब हम दोनों जगहों पर मुफ्त इलाज का फायदा उठा सकते हैं.।