नही रहे वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, फिल्मकार डा० आर० के० वर्मा (1939-2022)
देहरादून। देश में जब पहली बार इमरजेंसी लगी तब देहरादून से कुछ ही समाचार पत्र प्रकाशित होते थे और उनमें सबसे अहम किरदार अदा करने वाले थे डा० आर० के० वर्मा।
उत्तराखंड के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास, देहरादून के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास, फिल्मोग्राफी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज, मैजिक एवं मिस्टी, भूखे बिसरे गीत, भूले बिसरे चेहरे, राजनीति के चुटकुले आदि प्रमुख पुस्तके डा० आर० के वर्मा ने लिखी जिन्हे देश दुनिया में सराहा गया।
दैनिक नवजीवन, फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के जर्नल से भी डा० वर्मा काफी समय तक जुड़े रहे।
नागरिक परिषद की स्थापना कर डा० आर० के० वर्मा ने उत्तराखंड राज्य में उत्थान एवं जनता की निस्वार्थ सेवा कर रही विभूतियों को दून रत्न एवं उत्तराखंड रत्न से भी नवाजा। दून रत्न प्राप्त करने वालों में सतपाल महाराज, असलम खान, नित्यानंद स्वामी, एयर मार्शल दिलबाग सिंह, एयर वाइस मार्शल एच०एल० कपूर, सुंदर लाल बहुगुणा, करतार सिंह (शाहिद भगत सिंह के भाई ), आर०एस० टोलिया, डा० महेश कुरियाल, पद्म श्री डा० आर०के० जैन, चेशायर होम, देहरादून, सेवाधाम आदि अनेक विभूतियों का सम्मान किया।
उत्तराखंड के सहकारिता आंदोलन के जनक डा० आर० के० वर्मा रहे।
उत्तराखंड में सबसे पहले जर्नलिस्ट क्लब, उत्तराखंड फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष, फिल्म फेस्टिवल कमेटी के जज, देश दुनिया के समाचार पत्रों की प्रदर्शनी आदि डा० वर्मा के प्रमुख क्षेत्र रहे।
डा० आर०के० वर्मा उत्तर प्रदेश फिल्म बोर्ड के सदस्य रहे एवम उत्तराखंड की फिल्म पॉलिसी समिति के संयोजक रहे। फिल्म फेस्टिवल 2005 की कमेटी का उन्हे ज्यूरी मेंबर बनाया गया। डा० आर० के० वर्मा का नाम 2005 एवम 2006 में मुख्यमंत्री उत्तराखंड द्वारा पदम श्री पुरुस्कार के लिए भी भेजा गया।
पिछले दिनों मीसा आंदोलनकारियों को सम्मान देने की लिस्ट में डा० आर०के० वर्मा का नाम सरकारी पत्राचार में रहा।
डा० वर्मा के परिवार में पत्नी स्नेह वर्मा 4 पुत्र संजीव वर्मा, राजीव वर्मा, मनीष वर्मा, सचिन वर्मा एवं 2 पुत्रियों बिंदु एवं ऋतु मित्र तथा छोटे भाई अशोक वर्मा के अनुसार उनके पार्थिव शरीर को आज 3 बजे दाह संस्कार हेतु 10 गांधी रोड देहरादून से श्मशान घाट लक्खीबाग ले जाया जाएगा।