September 22, 2024

श्री रघुवीर सिंह पंवारः 1980 में बीजेपी के मुंबई अधिवेशन में टिहरी गढ़वाल से प्रतिनिधित्व किया था

शीशपाल गुसाई

वरिष्ठ एडवोकेट व बीजेपी के वरिष्ठ नेता श्री रघुवीर सिंह पंवार (73) का कल नई टिहरी निवास में निधन हो गया। वह सिर्फ 10 दिनों से घर पर बीमार रहे। आदत के अनुसार इंसान जब चला जाता है तब उसका मूल्यांकन किया जाता है। मेरा दुर्भाग्य रहा मैं उनके जीते जी उन पर कुछ नहीं लिख पाया।

पंवार जी को मैं पुरानी टिहरी से जानता हूँ वह एक विनम्र, व्यवहारकुशल, आम इंसान जैसे थे। अपने दल के लिए एक समर्पित नेता..की भूमिका उनमें देखी जाती थी। वह अपने दल क्या विपक्षी पार्टियों के नेताओं की कभी निंदा और चुगली नहीं करते थे। वह एक सुलझे हुए नेता थे। उनके व्यक्तित्व में एक ठहराव सा था।
8 अप्रैल 1949 को पंवार जी का ग्राम जखेड़, हिंसरियाखाल, पट्टी खास, देवप्रयाग, टिहरी में श्री थेपड़ सिंह के घर जन्म हुआ। वह पढ़ाई करने के लिए अपने जीजा जी के पास बांदा (यूपी ) चले गए थे। वहाँ उन्होंने आरएसएस की शाखा ज्वॉइन कर ली। और बांदा के शिशु मंदिर पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की तो अपने होम डिस्ट्रिक्ट 1974 में वकालत करने आ गए। आपने सीनियर एडवोकेट श्री लाखी राम सेमल्टी से एडवोकेट की प्रैक्टिस सीखी। साथ में संघ के विचारों को गांव गांव और कस्बे कस्बे तक ले गए। उन्होंने आरएसएस के डिस्ट्रिक्ट टिहरी कार्यवाह व जिला संचालक का पद भार संभाला।

1980 में बीजेपी का मुंबई में हुए अधिवेशन में उन्होंने टिहरी जिले से प्रतिनिधित्व किया तब बीजेपी में पंवार जी के अलावा श्री सुरेश चंद जैन, श्री ओम प्रकाश भट्ट, श्री रामानंद बधाणी होते थे। 1996 में वह टिहरी गढ़वाल के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए। जिला पंचायत सदस्य भी रहे तथा डिस्टिक कोऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष और चेयरमैन भी रहे और टिहरी गढ़वाल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी, नरेंद्र महिला विद्यालय में सदस्य, सरस्वती विधा मंदिर के प्रबंध समिति के अध्यक्ष सहित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भी थे पंवार जी। उन्हें सीनियर क्रिमिनल लॉयर का खिताब हासिल था। बीजेपी ने उन्हें 2002 में देवप्रयाग से टिकट दिया, किंतु वह कांग्रेस के श्री मंत्री प्रसाद नैथानी से पराजित हो गए। उन्होंने भाजपा की मुख्यधारा में रहकर काम किया। कभी पद का घमंड नहीं पाला।
पुरानी टिहरी में उनका घर चणो के खेत में था। चणों के खेत की पैदल रोड़ बस अड्डे और घनसाली रोड़ से कटती थी, जो हॉस्पिटल में निकलती थी, एक दूसरी पैदल की रोड़ थी जो पकौड़ी वाली गली से उसी हॉस्पिटल के नाके पर मिलती थी। पंवार जी का घर यहीं था। चणों के खेत राजशाही के जमाने से ही मशहूर थे, वहां कभी चणो की खेती खूब होती थी और भैंसों की लड़ाइयां भी होती थी। मैंने उन्हें कई बार नई टिहरी में पैदल चलते डॉ जेपी बहुगुणा के क्लिनिक पर सर्दियों में भी उन्हें देखा जाता था। उन्हें कभी उलझते नहीं देखा।

कोविड काल में उनकी बेटी योगिया का फोन आया था कि, भाई स्वराज पंवार को भर्ती कराना है। तब बेड मिलने मुश्किल हो रहे थे। चारों तरफ इस बीमारी ने लोगों को घेर रखा था। स्वामी राम मेडिकल कॉलेज जौली ग्रांट के पीआरओ श्री बहुगुणा जी का धन्यवाद कि उन्होंने उस हाहाकार में मेरे आग्रह पर एक बेड खोज निकाला, स्वराज को उस दिन नया जीवन मिला। उनके ठीक होने पर मुझे बहुत खुशी हुई बाद में। स्वराज पंवार वर्तमान में नई टिहरी में डीजीसी क्रिमिनल हैं। और योगिता हमारी बीएससी में क्लासमेट थीं। पंवार जी ने अपना भरा पूरा परिवार छोड़ दिया, उन्हें भारतीय जनता पार्टी के जिले में संस्थापकों और आरएसएस की जिले में उस दौर में विचारधारा के व्यापक प्रचार के कार्य के लिए हमेशा जाना जाएगा।


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