95 विभागों की जगह 57 विभागों के पुनर्गठन का ढांचा तैयार, सीएम ने देखा प्रजेंटेशन

0
up

प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर विभागों के पुनर्गठन के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक व उच्च शिक्षा संजय अग्रवाल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने विभागों के पुनर्गठन से जुड़े प्रस्ताव का प्रजेंटेशन दिया। इसमें मौजूदा 95 विभागों को घटाकर 57 रखने का सुझाव दिया गया है।

सूत्रों ने बताया कि समिति ने प्रजेंटेशन में केवल विभागों को इधर से उधर किए जाने, खत्म किए जाने या नए ढांचे की ही चर्चा की। इसमें विभागों को खत्म करने से उत्पन्न होने वाली विसंगति, पुनर्गठन के फायदे, नए विभागों के गठन के प्रभाव और प्रशासनिक कामकाज का जिक्र नहीं था।

इस पर मुख्यमंत्री ने समिति को पुनर्गठन के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया है। उन्होंने विभागों का पुनर्गठन तर्कसंगत व प्रशासनिक कामकाज में सुगमता के लिहाज से करने को कहा है।

मुख्य सचिव राजीव कुमार ने बताया कि समिति के प्रजेंटेशन की यह पहली बैठक थी। इस पर आगे और विचार-विमर्श होगा। बैठक में मुख्य सचिव राजीव कुमार, कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह, अपर मुख्य सचिव नियोजन संजीव सरन, अपर मुख्य सचिव सूचना अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल उपस्थित थे।

इन 31 विभागों को पूर्व की तरह बनाए रखने की सिफारिश

चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, सहकारिता, सिंचाई एवं जल संसाधन, राजस्व, भूतत्व एवं खनिकर्म, लोक निर्माण, परिवहन, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, समाज कल्याण, आयुष, चिकित्सा शिक्षा, पिछड़ा वर्ग कल्याण, दिव्यांगजन सशक्तीकरण, अल्पसंख्यक कल्याण व वक्फ, वित्त, स्टांप एवं पंजीयन, सूचना, आबकारी, सतर्कता, सार्वजनिक उद्यम, कारागार प्रशासन एवं सुधार, निर्वाचन विभाग, सचिवालय प्रशासन, न्याय, संसदीय कार्य, विधायी, विधान परिषद सचिवालय, विधानसभा सचिवालय और मुख्यमंत्री कार्यालय।

दो विभागों के क्षेत्राधिकार घटाने की संस्तुति
श्रम विभाग से सेवायोजन को अलग कर व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास में शामिल करने का प्रस्ताव।
खाद्य एवं रसद विभाग से उपभोक्ता संरक्षण तथा बाट-माप को अलग कर खाद्य एवं औषधि प्रशासन में शामिल करने का प्रस्ताव।

इन विभागों को मिलाकर 24 नए विभाग बनेंगे

कृषि, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान, समन्वय
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, रेशम विकास
लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल, परती भूमि विकास
पशुधन, मत्स्य व दुग्ध विकास
वन एवं वन्य जीव, पर्यावरण
ग्राम्य विकास, समग्र ग्राम्य विकास, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा व पंचायतीराज
सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन, खादी एवं ग्रामोद्योग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, निजी पूंजी निवेश, एनआरआई, मुद्रण एवं लेखन सामग्री
आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
ऊर्जा व अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत
राज्य संपत्ति, नागरिक उड्डयन व प्रोटोकॉल
नगर विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन, आवास एवं शहरी नियोजन
खेलकूद व युवा कल्याण
व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास, उच्च शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, सेवायोजन
पर्यटन, संस्कृति, भाषा व धर्मार्थ कार्य
खाद्य एवं औषधि प्रशासन, उपभोक्ता संरक्षण तथा बाट व माप
महिला कल्याण व बाल विकास एवं पुष्टाहार
संस्थागत वित्त एवं बैंकिंग, वाह्य सहायतित परियोजना
कर एवं निबंधन, मनोरंजन कर व बाजी कर
गृह व गोपन
होमगार्ड्स तथा नागरिक सुरक्षा, राजनैतिक पेंशन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रकोष्ठ
सामान्य प्रशासन, यूपी पुनर्गठन समन्वय, प्रशासनिक सुधार, लोक सेवा प्रबंधन, राष्ट्रीय एकीकरण
कार्मिक व नियुक्ति
नियोजन व कार्यक्रम क्रियान्वयन

इन पदों को खत्म करने की सिफारिश

समिति ने कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी), अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) तथा समाज कल्याण आयुक्त के पद खत्म करने की सिफारिश की है। इनके स्थान पर शिक्षा आयुक्त, स्वास्थ्य आयुक्त और राजस्व संसाधन आयुक्त के नए पद सृजित करने का सुझाव दिया है। सचिवालय में वित्त आयुक्त का भी पद है। समिति ने इसे बनाए रखने या खत्म करने के बारे में कुछ नहीं कहा है।

तीन नए आयुक्त के नियंत्रण में इन विभागों को रखने का सुझाव
शिक्षा आयुक्त : बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, खेलकूद व युवा कल्याण, व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास, उच्च शिक्षा व प्राविधिक शिक्षा, सेवायोजन (श्रम को अलग कर) विभाग रखे जाएं।

स्वास्थ्य आयुक्त : चिकित्सा, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, खाद्य  एवं औषधि प्रशासन, उपभोक्ता संरक्षण तथा बांट-माप, आयुष, महिला कल्याण व बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग हों।

राजस्व संसाधन आयुक्त : भूतत्व एवं खनिकर्म, परिवहन, संस्थागत वित्त, बैंकिग तथा वाह्य सहायतित परियोजना, स्टांप एवं पजीयन, कर एवं निबंधन, मनोरजंन कर व बाजी कर, वाणिज्य कर व आबकारी विभाग रखे जाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *