September 22, 2024

कुछ तो गड़बड़ है, दया ! नहीं तो सूचना आयोग सुनवाई न कर लेता

बैकड़ोर नियुक्तियों पर विधानसभा ने अपने होंठ सिए
-सूचनाधिकार कानून के तहत भी विधानसभा नियुक्तियों की सूचना देने को राजी नहीं
सूचना न देने पर जुर्माने का प्राविधान मगर फिर भी हर स्तर पर सूचना कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही
हल्द्वानी निवासी मनीष पांडे ने 26 फरवरी को विधानसभा से मांगी थी कई सूचनाएं

देहरादून। प्रदेश गठन से लेकर अब तक विधानसभा में बैकड़ोर नियुक्तियों के मामले में विधानसभा ने होंठ सिल लिए हैं। हैरत की बात यह है कि सूचनाधिकार के जरिए इस बाबत सूचनाएं मांगे हुए छह महीने बीत गए लेकिन विस से कोई जवाब नहीं आया। यहां तक कि प्रथम अपील के बाद भी सन्नाटा छाया रहा तो मामला राज्य सूचना आयोग की ड्योढ़ी पर पहुंच गया है। यह तब है जबकि सूचना अधिकार अधिनियम–2005 के तहत लोकसूचनाधिकारी 30 दिन के भीतर सूचनाएं देने को बाध्य है। ऐसा न होने पर उस पर जुर्माना हो सकता है। मगर फिर भी हर स्तर पर सूचना कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

हल्द्वानी निवासी मनीष कुमार पांडे ने इसी साल 26 फरवरी को विधानसभा के लोक सूचनाधिकारी व उप सचिव (लेखा) हेम चंद्र पंत से विधानसभा की नियुक्तियों के बाबत आठ बिंदुओं पर सूचनाएं मांगीं थीं। उन्होंने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल से पूर्व में कार्यरत रहे विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में विधानसभा में समस्त प्रकार के नियुक्त किए गए कार्मिकों की पदवार नियुक्ति किए जाने के सम्बन्ध में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित सार्वजनिक विज्ञापन की जानकारी सत्यापित दस्तावेजों की छायाप्रति मांगी थी।

तत्कालीन विस प्रेमचन्द अग्रवाल के कार्यकाल में विस में नियुक्त तदर्थ कार्मिकों की पदवार संख्या एवं उनके नाम और वेतनमान तथा नियुक्ति पत्रों की जानकारी सत्यापित दस्तावेजों की छायाप्रति मांगी थी। साथ ही इन तदर्थ कार्मिकों को नियुक्ति किए जाने के सम्बन्ध में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित सार्वजनिक विज्ञापन की जानकारी भी मांगी थी। यही नहीं उन्होंने इन नियुक्तियों के बाबत विधानसभा से राज्य सरकार के वित्त विभाग को भेजे सभी पत्रों व (शेष पेज १३)॥ बैकड़ोर नियुक्तियों.॥ वित्त विभाग से मिले समस्त पत्रों व वित्तीय मंजूरी के सत्यापित दस्तावेज भी मांगे थे।

उन्होंने नियुक्ति के लिए चल रही फाइल के शुरू होने होने की तिथि से लेकर सूचना दिए जाने की तिथि तक फाइल पर लिखी गयी टीप व टीप में उल्लेखित पत्र विपत्रों की जानकारी भी मांगी थी।

मनीष कुमार पांडे़य ने तत्कालीन विस अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल के कार्यकाल से पूर्व में कार्यरत रहे विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में उत्तराखण्ड राज्य विधानसभा में समस्त प्रकार के नियुक्त किए गए कार्मिकों की पदवार संख्या एवं नियुक्त किए गए समस्त कार्मिकों के नाम एवं कार्मिकवार वेतनमान की जानकारी सत्यापित दस्तावेजों की छायाप्रति मांगी ही‚ सूचना दिए जाने की तिथि में विस में कार्यरत समस्त कार्मिकों की कुल संख्या‚ कार्मिकों के नाम‚ कार्मिकों के पदनाम‚ कार्मिकों की नियुक्ति पत्र व सूचना दिए जाने के दिन तक कार्मिकवार आहरित अंतिम माह के वेतन की जानकारी भी मांगी थी।

लंबे समय तक कोई सूचना न मिली तो उन्होंने प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी चंद्र मोहन गोस्वामी के समक्ष 25 अप्रैल को अपील कर दी। अब वहां भी जब सुनवाई न हुई तो उन्होंंने 30 जुलाई को राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील कर दी है। जहां तक सूचना है शायद अब तक आय़ोग ने भी सुनवाई की तारीख नहीं दी है।


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