श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालयः नायाब उपलब्धियों से भरा सफर
देहरादूनः उत्तराखंड सदियों से ज्ञान और ध्यान का केंद्र रहा। सदियों पुरानी अपनी इस परम्परा का निर्वहन आज भी अनवरत जारी है। प्रदेश में दशकों से शिक्षा के क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। जिनके फलस्वरूप प्रदेश देश भर में एजुकेशन डेस्टीनेशन के तौर पर उभरा। क्वालिटी एजुकेशन और बेहत्तर वातावरण की वजह से यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भी छात्र-छात्राएं आती रही हैं। जहां तक उच्च शिक्षा की बात करें तो प्रदेश में हायर एजुकेशन युवाओं के बीच नई उम्मीदे जगा रहा है। लाखों युवाओं की उम्मीदों को पंख लगाने का काम प्रदेश के कई विश्वविद्यालय कर रहे हैं। लेकिन उन विश्वविद्यालयों में सबसे खास और अहम विश्वविद्यालय है श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय। इस नवसृजित विश्वविद्यालय ने अपने छोटे सफर में बड़े आयाम तय किये। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ने अपनी इस यात्रा में सीमित संसाधनों के बावजूद कई कीर्तिमान स्थापित किये। यही कारण है कि अपने असाधारण और अथक प्रयासाों की बदौलत विश्वविद्यालय के कुलपति डा. उदय सिंह रावत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में संभावनाओं के द्वार खोलते नजर आते हैं।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का श्रीगणेश
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का गठन अक्टूबर 2012 में हुआ। इस विश्वविद्यालय की स्थापना का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में उच्चस्तरीय शिक्षा की व्यापक पहुंच बढ़ाना था। चूंकि पहाड़ में उच्च शिक्षा की पहुंच न के बराबर थी। जिस कारण पर्वतीय क्षेत्र के युवा उच्च शिक्षा के लिए महानगरों की ओर पलायन कर जाते थे। जिसका सीधा असर पर्वतीय समाज के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सरोकारों पर पड़ता था। लिहाजा विश्वविद्यालय के गठन का मकसद पहाड़ में शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के अवसर पैदा कर युवाओं का पलायन भी रोकना था। विश्वविद्यालय के गठन के पश्चात इस दिशा में कई ठोस पहल की गई। जिसके परिणाम देखने को मिलने लगे हैं। इस बात से भी कतई इंकार नहीं किया जा सकता है कि प्रदेश सरकार ने भले ही अच्छी मंशा से श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की स्थापना तो की लेकिन सरकार ने विश्वविद्यालय को किसी भी प्रकार के भौतिक, मानवीय और वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं कराये। जिसका नुकसान विश्वविद्यालय को समय-समय पर उठाने पडे़।
करिश्माई कुलपति और कमाल की कार्यशैली
नवसृजित श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की इस यात्रा में यहां के प्रथम कुलपति डा. उदय सिंह रावत का अहम योगदान है। विलक्षण प्रतिभा के धनी डा. उदय सिंह रावत ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय को एक नई पहचान दिलाई। अथक परिश्रम और कुशल प्रबंधन के चलते उन्होंने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय को सीमित संसाधनों के बावजूद भी प्रदेश का अग्रणी विश्वविद्यालय बना कर प्रदेश की उच्च शिक्षा में नये आयाम स्थापित किया। विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति के तौर पर डा. उदय सिंह रावत ने दिसम्बर 2012 में कार्यभार संभाला। इसके उपरांत डा. रावत ने अपनी कमाल की कार्यशैली से विश्वविद्यालय को नई ऊचाईयां प्रदान की। इस दौरान डा. उदय सिंह रावत ने विश्वविद्यालय में संरचनात्मक, सृजनात्मक और रचनात्मक कार्यों को अंजाम दिया। डा. रावत ने अपने अथक प्रयास से विश्वविद्यालय की मजबूत नींव रख श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित किया। डा. रावत का योगदान विश्वविद्यालय के संपूर्ण विकास में अहम रहा है।
छोटे सफर में बड़ी सफलता…
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय ने अपने गठन के पश्चात उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई उपलब्धियां अर्जित की। इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने सीमित संसाधनों में गुणात्मक, व्यावहारिक और शोधपूर्ण शिक्षा व्यवस्था का महौल तैयार कर एक नई परिपाटी शुरू की। जो प्रदेश में उच्च शिक्षा के लिए शुभ संकेत हैं। यह इस बात का द्योतक भी है कि अगर दृढ़इच्छा शक्ति है तो कम संसाधनों में भी बड़े अवसर पैदा किये जा सकते हैं। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डा. उदय सिंह रावत ने विश्वविद्यालय में क्वालिटी एजुकेशन के साथ-साथ रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किये। उनके नेतृत्व में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के आसमान में एक नई पटकथा लिखी जो इस प्रदेश और विश्वविद्यालय के लिए प्रेरणा का कार्य करेगी। विश्वविद्यालय ने इस यात्रा में कई मुकाम छुए, विश्वविद्यालय का यह छोटा सफर कई उपलब्ध्यिों से भरा है। विश्वविद्यालय के उन तमाम उपलब्धियों पर आइये डालते हैं एक सरसरी नजर।
- चम्बा में महाविद्यालय के जीर्ण-शीर्ण भवन को परिर्धित कर उसे विश्वविद्यालय का स्थायी मुख्यालय के तौर पर स्थापित किया। जिसमें कुलपति सचिवालय सहित कुल सचिव कार्यालय, परीक्ष अनुभाग और वित्त अनुभाग का संचालन किया।
- शासन से समन्वय और विश्वविद्यालय के अन्य क्रियाकलापों को आधार देने के लिए दून विश्वविद्यालय परिसर में कैंप कार्यालय को स्थापित किया।
- श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और एसोसिएशन आॅफ इंडियन यूनीवर्सिटी (AIU) में सूचीबद्ध किया।
- विश्वविद्यालय की वेबसाइट तैयार कर परीक्षा, फीस और अन्य जानकारियां छात्रों तक पहुंचाने की ठोस पहल की।
किसी नवसृजित विश्वविद्यालय के छोटे से सफर में इतनी सफलताएं हो तो स्पष्ट है कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा के किसी कुशल शिल्पकार के हाथों में भविष्य का मजबूत नीड़ तैयार कर रहा है। इस छोटी अवधि में इतनी सारी उपलब्धियां यह भी साबित करती है कि विश्वविद्यालय भविष्य के कर्णधारों को प्रति कितनी सजग और ईमानदार है।
- विश्वविद्यालय द्वारा आपदा प्रबंधन पर एक अंतराष्ट्रीय स्तर का सेमीनार आयोजित किया गया, जिसमें देश-विदेश के प्रतिष्ठित लोगों ने हिस्सा लिया
- सीमित संसाधनों के बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष एक लाख से अधिक छात्रों की व्यक्तिगत और संस्थागत परीक्षा का आयोजन करता है। इसके साथ ही बी.एड. परीक्षाओं का अलग से आयोजन करता है।
- विश्वविद्यालय ने प्रदेश में संध्याकालीन कक्षाओं का कांसेप्ट शुरू किया।
- अब तक विश्वविद्यालय में लगभग 222 शासकीय/अर्द्धशासकीय/ निजी शिक्षण संस्थानों को मन्याता/ संबद्ध किया जा चुका है।
- विश्वविद्यालय के शैक्षिक परिसर हेतु अथक प्रयास किये गये, जिसके उपरांत सहसपुर में भूमि चिह्नत की गई। विवि परिसर का निर्माण कार्य कार्यदायी संस्था के तहत गतिमान है।
- विश्वविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली शुरू कर शिक्षा के बुनियादी स्तर को मजबूत करने की पहल की। साथ ही एनसीटीई द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार बी.एड. पाठ्यक्रम तैयाकर कर लागू किया।
- मुख्यमंत्री उत्तराखंड की घोषणा के मुताबिक पीजी काॅलेज नई टिहरी और गोपेश्वर को विवि का शैक्षिक परिसर बनाने के लिए प्रस्वाव शासन को प्रेषित किया, जिस पर गोपेश्वर पीजी काॅलेज को स्वीकृति प्रदान की गई।
- टिहरी झील विकसित करने, जलक्रिड़ा को बढ़ावा देने संबंधी पाठ्यक्रमों पर आधारित शोध क्षेत्र में विश्वविद्यालय को CENTER OF EXCELLENCE के तौर पर विकसित करने की योजना तैयार की।
-विवि ने सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रख कुलाधिपति के निर्देशों के तहत 6 गांवों को अंगीकार किया। - विश्वविद्यालय की प्रथम परिनियमावली तैयार कर शासन को प्रेषित की गई।
- विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों/ संस्थानों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में माननीय कुलपति द्वारा समय-समय पर व्याख्यान दिये गये। कुलपति पद पर नियुक्ति के पश्चात डा. यू.एस.रावत को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें कई पुरस्कारों सम्मानित किया गया। जिनमें उत्तराखंड रत्न पुरस्कार(2013), श्रीदेव सुमन पुरस्कार(2014), पैनखंडा गौरव सम्मान (2015), उत्तराख्ंाड पदम भूषण (2016), उत्तराखंड उदय सम्मान (2016) शामिल है।
- गढ़वाल विश्वविद्यालय में आयोजित NATIONAL SEMINAR ON CLIMATE CHANGE, RESOURCES, BIODIVERSITY, ENVIRONMENTAL CHALLENGES में तथा गोविंद बल्ल्भ पंत पर्वतीय पर्यावरण एवं विकास संस्थान गढ़वाल मंडल द्वारा आयोजित BIODIVERSITY CONCEPT, THREATS AND CONSERVATION विषय पर तथा गोपेश्वर पीजी काॅलेेज द्वारा आयोजित SUSTAINABLE DEVELOPMENT ISSUES AND CHALLENGE विषय पर विश्वविद्यालय द्वारा व्याख्यान दिया गया।
- विश्वविद्यालय द्वारा Uttarakhand Disaster Contemporary issues of climate change and development with a holistic approach विषय पर पुस्तक का प्रकाशन किया गया तथा Higher Education Quality Management and Social Responsibility विषय पर पुस्तक का संकलन एवं संपादन किया जा रहा है। अत तक विश्वविद्यालय ने 2 किताब और 4 पब्लिकेशन किये है।
- विश्वविद्यालय की न्यूनतम आवश्यकतानुसार 42 पदों का सृजन शासन से करवाया गया, जबकि 134 शिक्षणेत्तर पदों का प्रस्ताव शासन को पे्रषित किया गया।
- उच्च शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में आयोजित विभिन्न राष्ट्रीय/ क्षेत्रीय सेमीनारों में विश्वविद्यालय की ओर कुलपति डा. यू.एस. रावत द्वारा प्रतिभाग कर उच्च शिक्षा में नई सोच और दिशा हेतु युवाओं को प्रेरित किया।
- उच्च शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में विभिन्न विषयों पर विश्वविद्यालयरावत द्वारा सुझाव रखे गये।
- अल्प समय में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य हेतु एजूकेशन एक्सीलैंस अवार्ड के तहत विश्वविद्यालय को Best Emerging University पुरस्कार मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के कर कमलों द्वारा कुलपति डा. यू.एस. रावत को प्रदान किया गया।
- विश्विद्यालय अनुदान आयोग के मानकों के तहत विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर Choice Based Credit System पैटर्न लागू किया गया।
- विश्वविद्यालय मुख्यालय में दो मंजिला परीक्षा हाल का निर्माण कार्य किया गया जिसका वित्तीय पोषण स्वयं विश्वविद्यालय ने किया।
- वर्ष 2017 में विश्वविद्यालय द्वारा प्रथम दीक्षांत समारोह का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें कुलाधिपति द्वारा छात्रों को उपाधि व मैडल निर्गत किये।
- वर्ष 2017 में विश्वविद्यालय द्वारा तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार The Himalayan Challenge- Towards Interdiscriplinary Dialogues For Sustainability and Devlopment विषय पर सफलतापूर्वक आयोजित।
- विश्वविद्यालय में प्रथम शैक्षिक परिषद, वित्त समिति, कार्य परिषद की बैठक विश्वविद्यालय मुख्यालय में आयोजित की गई।
- 25 जुलाई 2018 को विश्वविद्यालय मुख्यालय में अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया।
- विश्वविद्यालय द्वारा प्रथम वार्षिक रिपोर्ट-2016-17 तैयार कर विश्वविद्यालय से संबद्ध राजकीय और स्ववित्त पोषित संस्थानों को वितरित की।
- हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से संबद्ध राजकीय संस्थानों को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में संबद्धीकरण कर समस्त संस्थानों में विश्वविद्यालय की सत्र 2018-19 की प्रवेश परीक्षा प्रारम्भ की।
- विश्वविद्यालय की प्रथम परिनियमावली तैयार कर शासन को प्रेषित की गई।