उत्तराखंड: राज्य में बिजली संकट दूर किए जाने के नाम पर सालाना पांच हजार करोड़ से अधिक की बिजली खरीदी जा रही
राज्य में बिजली संकट दूर किए जाने के नाम पर सालाना पांच हजार करोड़ से अधिक की बिजली खरीदी जा रही है। इसके बाद भी बिजली संकट दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। प्रतिदिन साढ़े चार करोड़ से अधिक की बिजली खरीदी जा रही है। फिर भी उद्योगों तक को नियमित बिजली नहीं मिल रही है। यूपीसीएल इस संकट के लिए बिजली उत्पादन को दोषी ठहरा रहा है। जबकि उत्पादन के लिहाज से ये सबसे बेहतर समय है। मौजूदा समय में बिजली उत्पादन 20 मिलियन यूनिट के करीब रहता है। अभी भी उत्पादन 15 से 18 मिलियन यूनिट के करीब है। इसी उत्पादन को देखते हुए यूपीसीएल प्रबंधन ने प्रतिदिन आठ एमयू बिजली पंजाब को देते हुए एनर्जी बैकिंग का भी करार किया है। ये बिजली राज्य को दिसंबर, जनवरी के महीने में वापस मिलेगी। इसके बाद भी पॉवर कट की स्थिति पूरे प्रदेश में बनी हुई है। बिजली संकट बढ़ कर शहरों तक पहुंच गया है। राजधानी दून में ही बिजली कट से लोग जूझ रहे हैं। पॉवर सप्लाई मैनेजमेंट यूपीसीएल प्रबंधन से संभल नहीं पा रहा है।
बिजली खरीद का रिकॉर्ड बना
बिजली खरीद के मामले में यूपीसीएल प्रबंधन ने इस साल सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा बिजली की खरीद हुई है। आलम ये है कि ओवरड्रा 500 से 1000 करोड़ के बीच ही घूम रहा है।
शॉर्ट टर्म टेंडर से परहेज
सस्ती बिजली को शॉर्ट टर्म टेंडर और इसमें भी रिवर्स बिडिंग की व्यवस्था की है। इससे यूपीसीएल परहेज कर रहा है। जबकि इससे 2.50 रुपये से 4.00 रुपये के बीच बिजली उपलब्ध होती है। बावजूद इसके पॉवर एक्सचेंज से 4.50 रुपये से 6.50 रुपये प्रति यूनिट की महंगी बिजली खरीदी जा रही है। खरीद सवालों के घेरे में है।
इनका कहना है…
यूजेवीएनएल प्लांट से पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। हाइड्रो के प्लांट से उत्पादन की स्थिति सभी जगह बेहतर नहीं है। इसी के चलते बिजली की दिक्कत हो रही है। इसका असर आम जनता पर न पड़े, इसके लिए न चाहते हुए भी बिजली खरीदनी पड़ रही है।
बीसीके मिश्रा, एमडी यूपीसीएल