लॉकडाउन से राज्यों का राजस्व संग्रह घटा, कोविड-19 से लड़ने के लिए मांगी केंद्र से मदद
कोरोनावायरस के चलते लॉकडाउन के कारण पूरे देश में आर्थिक गतिविधियां बंद हैं। इससे राज्यों के सामने दोहरा संकट पैदा हो गया है। एक तो उन्हें इस महामारी से निपटने के लिए तत्काल रकम की जरूरत है, दूसरे आर्थिक गतिविधियां नहीं होने के कारण उन्हें कोई रेवेन्यू नहीं मिल पा रहा है। इसलिए राज्यों ने केंद्र सरकार से तत्काल आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। ऐसे राज्यों में राजस्थान भी है। प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने बताया कि कमर्शियल टैक्स, एक्साइज और अन्य करों का संग्रह आमतौर पर मार्च के अंतिम सप्ताह में ज्यादा होता है। लेकिन इस साल इस दौरान लॉकडाउन है इसलिए राजस्व संग्रह करीब 3500 करोड़ रुपए कम रह सकता है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सभी राज्यों को एक लाख करोड़ रुपए का पैकेज देने का आग्रह किया है। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने भी केंद्र सरकार से राज्यों को तत्काल आर्थिक मदद मुहैया कराने की अपील की है।
केंद्र ने जारी किए हैं 17287 करोड रुपए
वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को राज्यों को 17287 करोड़ रुपए जारी किए थे। इसमें से 11092 करोड़ स्टेट डिजास्टर रिस्पांस मिटिगेशन फंड के लिए हैं। बाकी 6195 करोड़ 14 राज्यों को राजस्व में कमी के ग्रांट के तौर पर दिए गए हैं। स्टेट डिजास्टर रिस्पांस मिटिगेशन फंड का इस्तेमाल राज्य कोरोना संक्रमितों की जांच करने, अतिरिक्त टेस्टिंग लैबोरेट्री स्थापित करने, चिकित्सा कर्मियों के लिए पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) खरीदने, थर्मल स्कैनर, एयर प्यूरीफायर, वेंटिलेटर खरीदने और सरकारी अस्पतालों की दूसरी जरूरतों में कर सकते हैं।
राजस्व में कमी के चलते राज्य कर रहे हैं वेतन में कटौती
राजस्व संग्रह में कमी को देखते हुए राज्य अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने या आंशिक वेतन देने जैसे कदम उठा रहे हैं। तेलंगाना ने सभी कर्मचारियों के वेतन में कटौती की घोषणा की है। बड़े अधिकारियों के वेतन में कटौती ज्यादा होगी और निचले स्तर के कर्मचारियों में कम। महाराष्ट्र ने अपने कर्मचारियों को पहले 60 फ़ीसदी और बाद में 40 फ़ीसदी वेतन देने की बात कही है। राजस्थान सरकार ने भी ऐसी ही घोषणा की है।
कांग्रेस ने कहा- केंद्र तत्काल राज्यों को एक लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह कोरोना संकट से लड़ने के लिए राज्यों को एक लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे। पार्टी ने यह भी कहा कि इस महामारी से लड़ने की रणनीति बनाने में राज्यों का भी सहयोग लिया जाए। राज्यों का जीएसटी बकाया करीब 42000 करोड़ रुपए है, वह भी तत्काल दिया जाना चाहिए। पार्टी के अनुसार राज्यों को क्वॉरेंटाइन सुविधा और टेस्टिंग लैब स्थापित करने, पीपीई? थर्मल स्कैनर, वेंटीलेटर और एयर प्यूरीफायर खरीदने के लिए पैसे की जरूरत है। इसके अलावा लॉकडाउन के समय कमजोर वर्ग के लोगों को आर्थिक मदद की भी जरूरत है
राज्य पहले ही वित्तीय संकट में, और बोझ उठाने की स्थिति में नहीं: लेफ्ट
लेफ्ट पार्टियों ने भी कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए केंद्र से राज्यों को आर्थिक मदद बढ़ाने की अपील की है। सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई माले, आरएसपी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने एक साझा बयान में कहा कि मौजूदा हालात में लोगों को ठीक से खाना नहीं मिल रहा है और कुपोषण बढ़ रहा है। इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। बयान में कहा गया है कि कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए राज्यों को भी अनेक कदम उठाने पड़ेंगे जिसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत पड़ेगी। राज्य पहले ही वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। वे और ज्यादा बोझ उठाने की स्थिति में नहीं हैं।