September 21, 2024

विदेश मंत्री जयशंकर ने पेरिस में सिंगापुरी समकक्ष से आर्थिक सहयोग पर चर्चा की, फ्रांस में भी दिया था बयान

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां हिंद-प्रशांत मुद्दे पर यूरोपीय संघ (ईयू) की मंत्रिस्तरीय बैठक से इतर सिंगापुर के अपने समकक्ष विवियन बालकृष्णन के साथ आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय विकास पर चर्चा की. फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा पर रविवार को जर्मनी से पेरिस पहुंचे जयशंकर ने ‘यूरोपीय संघ हिंद-प्रशांत फोरम’ में हिस्सा लेने वाले अन्य हिंद-प्रशांत देशों के अपने समकक्षों के साथ बैठकें भी कीं.

विदेश मंत्री ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘हिंद-प्रशांत पर यूरोपीय संघ की मंत्रिस्तरीय बैठक के मौके पर सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन से मुलाकात की. फोरम में उठने वाले मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. हमारी बातचीत में यात्रा व्यवस्था, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय विकास जैसे मुद्दे भी शामिल थे. ’

जयशंकर उस दिन पेरिस पहुंचे थे, जब यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंका के बीच फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूरोपीय राष्ट्र की सीमा पर तनाव घटाने के लिए फोन पर मैराथन बातचीत की थी. रविवार को विदेश मंत्री ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष ज्यां-यवेस ले द्रायां के साथ लंबी बातचीत की थी.

इस दौरान दोनों नेताओं में प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों, खासतौर पर भारत-ईयू संबंधों, अफगानिस्तान की स्थिति, ईरानी परमाणु समझौते और यूक्रेन संकट पर चर्चा हुई थी. जयशंकर और द्रायां ने बहुपक्षवाद के सिद्धांतों और नियम-आधारित व्यवस्था के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता को भी दोहराया था. उन्होंने परस्पर चिंता के मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समन्वय करने पर सहमति भी जताई थी.

रूस और यूक्रेन के बीच बने युद्ध जैसे हालात को लेकर पूरी दुनिया में हलचल है. फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका खुलकर रूस के खिलाफ यूक्रेन के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं वहीं कई देश तटस्थ हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इमरजेंसी बैठक में भारत ने तटस्थ रवैया अपनाया था और ये कहा था कि विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिये निकाला जाना चाहिए. अब इसे लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फ्रांस में बयान दिया है.विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि यूक्रेन और रूस के बीच जारी गतिरोध की जड़ें सोवियत के बाद की सियासत में हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के मौजूदा हालात की जड़ें नाटो (NATO) के विस्तार और यूरोपीय देशों के साथ रूस के बदलते संबंधों में भी हैं. ये पिछले 30 साल में बनीं जटिल परिस्थितियों का परिणाम है. फ्रांस के समाचार पत्र ले फिगारो के साथ साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस की तरह सक्रिय देश इस मसले के कूटनीतिक समाधान की मांग कर रहे हैं.


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