कोरोना से मरे लोगों को दफनाने पर रोक की मांग, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Bandra-Cemetery

 मुंबई के बांद्रा में रहने वाले निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कोरोना संक्रमण से हुई मौत के मामले में शवों को दफनाने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के 27 अप्रैल के उस फैसले को चुनौती दी गयी है जिसमें हाईकोर्ट ने शवों को दफनाने पर रोक की मांग को खारिज कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमित शवों को दफनाने से संक्रमण फैलने की आशंका है इसलिए इसपर रोक लगाई जाय।

याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 30 मार्च को एक सर्कुलर जारी कर कोरोना संक्रमण से हुई मौत के मामले में शवों को दफनाने पर रोक लगा दी थी और सर्कुलर में कहा गया था कि महामारी के दौरान कोरोना संक्रमित शवों को जलाया जाएगा। लेकिन कुछ ही दिन बाद 9 अप्रैल को सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर ऐसे शवों को दफनाने की इजाजत दे दी। सर्कुलर में 20 कब्रिस्तानों में ऐसे शवों को दफनाने के लिए चिन्हित कर दिया गया। उनमें बांद्रा (वेस्ट) के तीन कब्रिस्तान भी शामिल हैं।

प्रदीप गांधी, गुरूदत्त कामत, संजय नाइक और हिमांशु पटेल जो कि बांद्रा (वेस्ट) इलाके में रहते हैं उन्होंने अपनी याचिका में महाराष्ट्र सरकार और बृहन्न मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को पार्टी बनाया है। याचिका में कहा गया है ये कब्रिस्तान घनी आबादी वाले इलाके में हैं और यहाँ कोरोना संक्रमित शवों के दफनाने से इलाके में मिट्टी और पानी के संक्रमित होने का खतरा है जिससे वहां के लोग संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए इन कब्रिस्तानों में ऐसे शवों के दफनाने पर तत्काल रोक लगाई जाय। और ऐसे कब्रिस्तानों में दफनाने की इजाज़त हो जो आबादी से दूर हों। याचिका में यह भी कहा गया है कि जब से ऐसे शवों को दफनाने की इजाजत दी गयी है, कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ गयी है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह भी कहा गया है कई देशों में कोरोना संक्रमित शवों को दफनाने पर रोक लगा दी है। यहां भी ऐसे शवों के दफनाने पर रोक लगानी चाहिए। याचिका में दलील दी गयी है कि भले ही अभी यह साबित नहीं हुआ है कि इस तरह से शवों के दफनाने से संक्रमण फैलता है, हमें एहतियातन ऐसा कदम उठाया जाना चाहिए क्योंकि बाद में अगर ये बाद साबित होती है तो तबतक बहुत नुकसान हो सकता है।

इस याचिका के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जमीयत ने मामले में पक्षकार बनने की मांग की है। जमीयत ने अपनी अर्जी में कहा है कि कब्रगाह में दफनाना इस्लाम या ईसाई धर्म का जरूरी हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस मामले में सुनवाई करेगा।