September 22, 2024

ओबीसी राजनीतिक आरक्षण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की राजनीति फिर गरमाई

सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को लेकर आज (17 जनवरी, सोमवार) अहम सुनवाई है. इस सुनवाई पर सबकी नज़रें टिकी हुई हैं. महाराष्ट्र में ओबीसी राजनीतिक आरक्षण के बिना ही नगर पंचायत के चुनाव हो रहे हैं. यह चुनाव सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत हो रहे हैं. नगर पंचायत के चुनावों के लिए कल मतदान होना है. इन सभी बातों के ध्यान में रखते हुए आज सुप्रीम कोर्ट के सामने ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण के पक्ष में महाराष्ट्र सरकार क्या दलीलें पेश करेंगी, यह देखने वाली बात होगी. दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में भी ओबीसी राजनीतिक आरक्षण के बिना स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं कराए गए हैं. साथ ही केंद्र सरकार भी इम्पीरिकल डेटा के संबंध में कोर्ट के सामने जो अपनी दलीलें पेश की हैं, उन्हें लेकर भी कोर्ट आज कोई निर्देश दे सकता है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों के चुनावों में ओबीसी राजनीतिक आरक्षण को रद्द कर दिया है. साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि किसी भी हाल में आरक्षण की अधिकतम सीमा पचास फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के दावे के पक्ष में राज्य को इम्पीरिकल डेटा एकत्र करने का निर्देश दिया है. इम्पीरिकल डेटा से यह स्पष्ट होगा कि राज्य में कोई जाति क्यों पिछड़ी मानी जाए? अगर पिछड़ी है तो उसकी सही तादाद कितनी है? यानी किस आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के आरक्षण की मांग की जा रही है? राज्य सरकार इसके लिए समय मांग रही है और केंद्र सरकार से यह आग्रह कर रही है कि चूंकि उनके पास जनगणना के आंकड़े हैं, उनसे वे इम्पीरिकल डेटा उपलब्ध करवाने में मदद करे. दूसरी तरफ केंद्र की ओर से जातीय जनगणना पर रोक है. यानी जब तक इम्पीरिकल डेटा जुटाए नहीं जा सकते, तब तक किसी को राजनीतिक रूप पिछड़ा वर्ग कैसे मान लिया जाए? ऐसे में आरक्षण किस आधार पर दिया जाए? और अगर पिछड़ा मान भी लिया जाए तो यह तय कैसे किया जाए कि उन्हें आरक्षण कितना प्रतिशत दिया जाए?

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार की उलझनें

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार को इम्पीरिकल डेटा इकट्ठा करने को कहा था. इस बारे में अब तक एकत्र की गई पूरी जानकारियां सरकार आज कोर्ट के सामने पेश कर सकती है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को स्थानीय निकायों के चुनावों में ओबीसी आरक्षण रद्द किए जाने से खाली सोटों में चुनाव करवाने का आदेश दिया था. लेकिन इन सीटों पर ओपन कैटेगरी से चुनाव करवाने का निर्देश दिया गया था. ऐसे राज्य की पार्टियों को ओबीसी वोटरों की नाराजगी का डर था. इसके बाद अलग-अलग पार्टियों ने यह फैसला किया कि जब तक रद्द किया हुआ राजनीतिक आरक्षण फिर से लागू नहीं हो जाता, तब तक चुनाव में वे अपने सभी कैंडिडेट ओबीसी वर्ग से ही उतारेंगे. इन सब पेशोपेश के बीच कल मतदान होने वाला है. अब देखना है कि कोर्ट की सुनवाई में क्या अपडेट सामने आता है.

कोरोना संकट की वजह से कोर्ट का कामकाज ऑनलाइन पद्धति से शुरू है. इसलिए आज की सुनवाई ऑनलाइन ही होने वाली है. इस बीच राज्य सरकार इम्पीरिकल डेटा एकत्र करने के मुद्दे पर कोर्ट के सामने क्या दलील पेश करती है, यह देखने वाली बात होगी.


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