मजदूरों के वेतन पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- आखिर कहां गए 20 हजार करोड़ रुपये?
लॉकडाउन के दौरान कारखानों में लगे मजदूरों के वेतन और मजदूरी के भुगतान के सवाल पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रुख बदल लिया. सरकार ने कहा कि ये तो नौकरी देने वाले और करने वाले के बीच का मसला है. लिहाजा, इसमें हमारा दखल देना उचित नहीं. इस पूरे मसले पर सुनवाई जारी है.
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कौल ने कहा कि आप एक ओर तो ये दावा कर रहे हैं कि आपने कामगारों की जेब में पैसे डाले हैं. वो 20 हजार करोड़ रुपए आखिर कहां गए? इस पर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हमने सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्योगों की मदद में वो रकम लगाई है. सरकार ने ये बहुत जबरदस्त काम किया है.
इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि हम अपने सवाल का जवाब चाहते हैं, सरकार के लिए सर्टिफिकेट नहीं. वहीं, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि स्थायी कर्मचारियों और कामगारों के मुकाबले अस्थाई कामगारों पर ही ज्यादा असर पड़ा है. एनडीएमए पर सख्त अमल की वजह से कामगारों को अब कारखानों तक लाने- ले जाने के लिए वाहन सेवा देनी जरूरी हो.
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय के लॉकडाउन नोटिफिकेशन का मकसद महामारी से बचाव के उपाय करना था. अब हम सबने मास्क लगाए हैं और लॉकडाउन प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं तो हम लोगों में से कोई बीमार नहीं है. लॉकडाउन की वजह से ही एनडीएमए की अहमियत हुई.