यौन शोषण के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने के निर्देश का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से मांगी राय
मध्यप्रदेश में यौन शोषण के आरोपी की जमानत की शर्त के रूप में पीड़ित महिला से राखी बंधवाने निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के 9 महिला वकीलों की ओर से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है।
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान 30 वर्षीय विवाहिता से छेड़छाड़ करने के आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर करते वक्त अनूठी शर्त लगाते हुए उसे रक्षाबंधन के दिन महिला के घर जाकर उससे राखी बंधवाने का आदेश दिया था साथ ही, भविष्य में एक भाई की तरह हर हाल में उसकी रक्षा करने का वचन देने और आशीर्वाद लेने को कहा। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की महिला वकीलों ने याचिका दायर की है
याचिकाकर्ता वकीलों की तरफ से संजय पारिख ने कहा कि इस तरह कि शर्त वाले निर्देश के मामले में हम सिर्फ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट नहीं, बल्कि सभी हाईकोर्ट और निचली अदालत के लिए निर्देश चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम अटॉर्नी जनरल को इस मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं। उनके जवाब के बाद आगे सुनवाई करेंगे। अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी।
याचिका में कहा गया है कि जमानत की ऐसी शर्त, जो आरोपी को विक्टिम से मिलकर उससे माफी मांगने, उससे राखी बंधवाने के लिए कहती है, उससे घबराकर हो सकता है कि लड़कियां और औरतें शिकायत ही न करें। इस तरह के मामलों में परिवार और आरोपी के दबाव में अक्सर विक्टिम अपना बयान बदल लेती हैं। ऐसी शर्तें उस पर और अधिक प्रेशर डालेंगी।
साथ ही याचिका में कहा गया है कि बेल की इस तरह की शर्तें विक्टिम की तकलीफ को और अधिक बढ़ाती हैं। क्योंकि ये आरोपी को विक्टिम से मिलने की, उनके घर में घुसने की आजादी देते हैं। मध्य प्रदेश वाले केस में एक शादीशुदा महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पड़ोसी ने उसके घर में घुसकर उसका यौन शोषण किया। इस तरह की शर्त महिला को अपने ही घर में असुरक्षित महसूस कराती है।