सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ‘वन रैंक वन पेंशन’ पॉलिसी को ठहराया सही
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रक्षा बलों के लिए वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) पर सरकार के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि उसे वन रैंक, वन पेंशन सिद्धांत और 7 नवंबर, 2015 की अधिसूचना में कोई संवैधानिक दोष नहीं लगता है।
शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने कहा, “वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) सरकार का नीतिगत फैसला है और नीतिगत मामलों पर फैसला अदालत का नहीं है।”
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि वन रैंक, वन पेंशन के केंद्र का नीतिगत फैसला मनमाना नहीं है और सरकार के नीतिगत मामलों में कोर्ट का जाना नहीं है।
Supreme Court upholds centre's manner of implementation of One Rank One Pension policy for defence forces. Finds no constitutional infirmity in the principle adopted. @IndianExpress
— Ananthakrishnan G (@axidentaljourno) March 16, 2022
इसने निर्देश दिया कि वन रैंक-वन पेंशन का लंबित पुन: निर्धारण अभ्यास (जो पांच वर्ष की अवधि के बाद न्यायालय के समक्ष लंबित मामले के कारण नहीं किया गया है) 1 जुलाई, 2019 से किया जाना चाहिए और पेंशनभोगियों को तीन महीने में बकाया भुगतान किया जाए।
शीर्ष अदालत ने भूतपूर्व सैनिक संघ द्वारा दायर उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें भगत सिंह कोश्यारी समिति द्वारा पांच साल में एक बार आवधिक समीक्षा की वर्तमान नीति के बजाय एक स्वचालित वार्षिक संशोधन के साथ एक रैंक-एक पेंशन को लागू करने की मांग की गई थी।