यूपी में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, कहा- बिना नोटिस के बुलडोजर कार्रवाई नहीं हो सकती
सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा आरोपियों के घरों को ध्वस्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के कदम के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना विध्वंस नहीं हो सकता।
जमीयत की तरफ से यह याचिका कोर्ट में दी गई कि बिना किसी नोटिस के कार्रवाई की गई और एक धर्म को निशाना बनाया जा रहा है। इसके साथ ही संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोग भी यह कह रहे हैं कि जो भी कानून हाथ में लेगा उनकी संपत्ति पर बुलडोजर चलेगा। ऐसे में यह असंवैधानिक हैं और इसपर सुप्रीम कोर्ट को दखल देना चाहिए।
इसपर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से टिप्पणी आई कि किसी भी अवैध कब्जे को ढहाने या बुलडोजर चलाने से पहले नोटिस दिया जाना चाहिए।
इसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार महता और यूपी सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील हरिश साल्वे दोनों राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में खड़े हुए और उन्होंने पहली बात यह कही कि इस मामले में जो भी पीडि़त हैं उनमें से कोई भी सुप्रीम कोर्ट नहीं आया है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने यह याचिका दायर की है, जिसका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में कोर्ट को इसपर विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इसपर कहा कि इस मामले में यह भी देखा जाना चाहिए कि जो पीड़ित हैं, वह सुप्रीम कोर्ट जाने में सक्षम है या नहीं। इसपर हरिश साल्वे ने कहा कि कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने काफी बड़ी संपत्ति पर अवैध कब्जा किया है और वह काफी पैसों की है, जिससे यह नहीं कहा जा सकता कि वह सुप्रीम कोर्ट जाने में सक्षम नहीं है।
हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने बचाव में कहा कि किसी भी समुदाय को लक्षित करने का कोई मामला नहीं है, नोटिस दिए गए थे। प्रयागराज और कानपुर में विध्वंस के सभी मामलों में उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था।