November 22, 2024

तेलंगाना: I.N.D.I.A से गठबंधन के सवाल पर केसीआर का तंज- उन्होंने 50 साल तक देश पर शासन किया, तब क्या हुआ?

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पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में जोरदार प्रदर्शन किया है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों की हर चाल पीएम मोदी को हराने में नाकाम रही है। लेकिन अब देश के 21 विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ नाम का गठबंधन बनाया है। वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विपक्षी गठबंधन पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ की पार्टियों ने 50 साल तक देश पर शासन किया, तब उन्होंने क्या किया….।

बीआरएस न तो एनडीए के साथ है और न इंडिया गठबंधन के साथ

सीएम केसीआर मंगलवार को महाराष्ट्र के वाटेगांव गांव में अन्नाभाऊ साठे की 103वीं जयंती के सिलसिले में एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) न तो भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ है और न इंडिया गठबंधन के साथ है। लेकिन उन्होंने दावा किया कि उन्हें कई पार्टियों का समर्थन प्राप्त है।

मोर्चे काम नहीं करते

उन्होंने आगे कहा कि हम कोई मोर्चा नहीं बनाएंगे क्योंकि वे काम नहीं करते। केसीआर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मशहूर दलित कवि अन्नाभाऊ साठे को भारत रत्न देने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार साठे के बलिदान को मान्यता दें।

बीआरएस पार्टी मातंग समुदाय का समर्थन करेगी
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार विधानसभा में मातंग समुदाय को पर्याप्त प्राथमिकता नहीं दे रही है। आगे बोले कि बीआरएस पार्टी मातंग समुदाय का समर्थन करेगी और समय आने पर मान्यता और सहायता प्रदान करेगा। केसीआर ने यह भी मांग की कि अन्नाभाऊ साठे के कार्यों का सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए और ‘साथे विश्व जनिना’ (सार्वभौमिक) दर्शन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेश किया जाना चाहिए।

रूस ने अन्नाभाऊ साठे की सेवाओं को पहले ही मान्यता दे दी

केसीआर ने कहा कि रूस ने साहित्य के क्षेत्र में अन्नाभाऊ साठे की सेवाओं को पहले ही मान्यता दे दी है, लेकिन भारत ने नहीं। साठे की प्रतिमा एक रूसी पुस्तकालय में भी स्थापित की गई थी। सीएम ने कहा कि उन्हें भारतीय मैक्सिम गोर्की के नाम से जाना जाता है और यह अफसोसजनक है कि भारत में लगातार सरकारों ने साठे को मान्यता नहीं दी और उनके साहित्य को दुनिया के सामने पेश करने के लिए कोई पहल नहीं की।