September 22, 2024

स्थानांतरित शिक्षक को कार्यमुक्त करने की बाध्यता न्यायसंगत नहींः डॉ मांजिला

देहरादून। सरकार के तमाम दावों के बाद भी राज्य के पर्वतीय जिलों में विषय अध्यापक नहीं हैं। तमाम ऐसे स्कूल हैं जहां सालों से विषयों के अध्यापक नहीं है। राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व महामंत्री डॉ सोहन सिंह मांजिला कहते हैं कि एलटी से प्रवक्ता के पदों पर पदोन्नति के बिना पर्वतीय जिलो में 70 प्रतिशत शिक्षक होना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रवक्ता के 50 प्रतिशत पद एलटी से पदोन्नति कर भरे जाते हैं। एलटी से प्रवक्ता पदों पर पदोन्नति की व्यवस्था सेवा नियमावली में हैं। लेकिन पिछले चार सालों से सेवा नियमावली के व्यवस्था के मुताबिक पदोन्नति नहीं हुई है। ऐसे में पर्वतीय जिलोें में 70 प्रतिशत शिक्षक होना संभन ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि लोक सेवकों के लिए वार्षिक ट्रांसफर अधिनियम 2017 के आलोक में सत्र 2024-25 में हो रहे ट्रांसफर में सिर्फ शिक्षा विभाग में काउंसिलिंग के माध्यम पारदर्शी तरीके से ट्रांसफर की व्यवस्था की गई है। यह सरकार का स्वागत योग्य कदम है। इस व्यवस्था से कथित ‘ट्रांसफर उद्योग’ जैसी शब्दावली पर विराम लगा है।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में योजीत पीएलआई दौलत राम सेमवाल बनाम राज्य में पारित निर्णय के आधार पर 70 प्रतिशत शिक्षक संस्था में होने पर स्थानांतरित शिक्षक को कार्यमुक्त करने की बाध्यता न्याय संगत नही है, क्योंकि पीएलआई में शिक्षकों की पदस्थापना के संबंध में भी साफ साफ निर्देश जारी किए गए है, जिन पर आज तक कार्यवाही नही हो पाई है। इसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पढ़ रहा है।

चूंकि पीआईएल का निर्देश पूर्व से जारी थे इसलिए काउंसलिंग हेतु जारी विभागीय विज्ञापन में 70 प्रतिशत की बाध्यता का खुलासा होता तो शिक्षकों को इस बारिश के रेड अलर्ट में जान जोखिम में डाल कर निदेशालय व मंडल मुख्यालय की दौड़ नही लगानी पड़ती। अब काउंसलिंग में शिक्षकों को बुलाया गया है तो बिना शर्त कार्यमुक्त किया जाय।


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