September 22, 2024

खबर का असरः अम्ब्रेला एक्ट का विरोध करवा रहे वीसी शिकंजे में, 2 कुलपतियों की विजिलेंस जांच शुरू

देहरादून। तीन दिन पूर्व दस्तावेज न्यूज पोर्ट पर ’अम्ब्रेला एक्ट का विरोध करवा रहे दून और टिहरी के कुलपति की कुर्सी पर गाज गिरना तय’ शीर्षक के साथ एक समाचार प्रसारित किया गया था। जिसमें खुलासा किया गया था कि उच्च शिक्षा मंत्रालय की माने तो अम्ब्रेला एक्ट को लेकर दो कुलपतियों की ओर से सरकार व मंत्रालय को बदनाम करने का एक खेल खेला गया है। जिसका पुख्ता सबूत एक काॅलेज संचालक की ओर से प्रस्तुत किया गया है। जिसका तत्काल संज्ञान लेते हुये उच्च शिक्षा मंत्रालय ने एलआईयू के माध्यम से अम्ब्रेला एक्ट का विरोध करवा रहे कुलपतियों की गतिविधियों की जानकारी जुटाई। एलआईयू की रिपोर्ट के बाद मंत्रालय ने भी मान लिया है कि एक सुनियोजित साजिश के तहत यक सब किया गया है। जिसके बाद मंत्रालय ने उक्त प्रकरण की जांच के लिए विजिलेंस को गोपनीय पत्र भेजा है।

दस्तावेज को मिले पुख्ता सबूतों की माने तो अम्ब्रेला एक्ट के वरोध की पटकथा दिनांक 15.09.2020 को टिहरी जनपद के रानीचैरी स्थित एक सरकारी विश्राम गृह में लिखी गयी। अम्ब्रेला एक्ट का विरोध की पटकथा लिखने से पूर्व इन अधिकारियों ने स्टेट एग्रीकल्चर कमेटी की बैठक में भी हिस्सा लिया। 15.09.2020 की मीटिंग में फोन पर हुयी वार्ता के बाद एक और कुलपति दिनांक 16.09.2020 को तकरीबन रात 8:30 मिनट पर रानीचैरी स्थित राजकीय आवास पुहंचे। इस दौरान तय किया गया कि कैसे विधानसभा में पारित हो रहे अम्ब्रेला एक्ट को रोका जाय। इसके लिए देररात तकरीबन 11 बजे तक मंत्रणा चलती रही। साथ ही यह भी तय किया गया कि पूर्व से सरकार का विरोध कर रहे लोगों से ही संर्पका साधा जाय।

बैठक समाप्त होने के बाद यह अधिकारी देररात तक प्रदेशभर में अम्ब्रेला एक्ट का विरोध करवाने की स्क्रिप्ट लिखते रहे। इसी दौरान इन लोगों की बात हरिद्वार जनपद में स्थित एक शिक्षण संस्थान के स्वामी के साथ हुयी। जिसमें शिक्षण संस्थान के स्वामी को राजधानी देहरादून से लेकर प्रदेशभर में अम्ब्रेला एक्ट के खिलाफ छात्रों और शिक्षण संस्थानों को एक जुट करने की बात कही गयी।

दस्तावेज न्यूज पोर्ट पर प्रकाशित समाचार पत्र, जिसमें खुलासा किया गया था।

एक्ट का विरोध करवा रहे कुलपतियों व उनके सलाहकारों को लगा कि वह अपने मकसद में कामयाब हो जायेंगे। जिसके लिए बकायदा एक विवि की ओर से मोटी रकम भी खर्च की गयी। लेकिन मामले का पठाक्षेप तब हुआ जब उक्त भाजपापृष्ठभूमि के काॅलेज संचालक की मुलाकात 23.09.2020 को उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ धनसिंह रावत से हो गयी। रावत का काॅलेज प्रबंधक को यह पूछना कि संस्थान में क्या चल रहा है। जिसके बाद काॅलेज प्रबंधक ने अम्ब्रेला एक्ट का विरोध करवा रहे कुलपतियों और अधिकारियों की पोल खोलकर रख दी।

उधर एलआईयू जांच में भी अब यह बात साफ हो गयी है कि प्रदेश के दो विवि के कुलपतियों की भूमिका अम्ब्रेला एक्ट का विरोध करवाने में रही है। जिसके बाद उच्च शिक्षा मंत्रालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुये उक्त कुलपतियों की भूमिका की जांच के लिए राज्य विजिलेंस को गोपनीय पत्र भेजकर यह साफ कर दिया है कि आने वाले कुछ दिनों में इन कुलपतियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जायेगी। उक्त कार्यवाही से सरकार अम्ब्रेला एक्ट का प्रभाव का संदेश भी देना चाहती है।

क्यो है अम्ब्रेला एक्ट सरकार के लिए महत्वपूर्ण

उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2020 को विधानसभा में तीन दिन पूर्व ध्वनिमत से पास कर दिया गया है। दस्तावेज से बात करते हुए उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि साल 1973 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब विश्वविद्यालयों के लिए अलग से एक एकीकृत एक्ट लाया गया है। अंब्रेला एक्ट पास होने पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने मुख्यमंत्री व प्रदेश कैबिनेट के सहयोगियों सहित विधानसभा सदस्यों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी राज्य विश्वविद्यालय अपने अलग-अलग अधिनियमों से संचालित हो रहे थे। इस कारण विश्वविद्यालयों के संचालन में प्रशासनिक एवं शैक्षणिक व्यवस्था करने में एकरूपता नहीं आ रही थी। लिहाजा अंब्रेला एक्ट आने से अब राज्य के समस्त राज्य पोषित विश्वविद्यालयों में एक समान स्वायत्त एवं उत्तरदायी प्रशासन की स्थापना हो सकेगी। अब कुलपति तीन साल की अवधि या 70 वर्ष की आयु तक पद पर नियुक्ति पा सकेंगे। नए नियमों के तहत कुलपति को अधिकतम एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया जा सकेगा।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com