September 22, 2024

नेक सामरी जिसकी इंसानियत को प्रभु यीशु ने भी सराहा

प्रभु यीशु के समय में सामरिया, फिलिस्तीन का एक पुराना शहर था। यहूदी लोग, सामरिया के लोगों को दुष्ट प्रवृत्ति की नजर से देखते थे। जिस कारण उनकी साख बहुत खराब थी। यहूदी, सामरियों से बात तक नहीं करते थे।

एक बार अराधनालय का एक व्यवस्थापक प्रभु यीशु के  पास आया और उनकी परीक्षा लेने के लिये उनसे पूछा कि हे गुरू, अनन्त जीवन का वारिस होने के लिये मै क्या करूं? यीशु ने कहा, व्यवस्था (परमेश्वर के नियम) में लिखा है जो तू प्रत्येक दिन पढ़ता है? व्यवस्थापक ने उत्तर दिया, यही कि तू अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्वि से प्रेम रख और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। यीशु ने कहा, तूने ठीक उत्तर दिया, यही कर। परन्तु व्यवस्थापक ने अपने को धर्मी ठहराने और यीशु को परखने के लिये उसने पूछा, तो तू बता, मेरा पड़ोसी कौन है?

यीशु ने उत्तर दिया कि, एक मनुष्य जंगल के रास्ते यरूशलम से यरीहो जा  रहा था। जंगल में उसे डाकुओं ने घेर कर मारा—पीटा ओर उसका सब कुछ लूटकर, उसे अधमुआ छोड़कर भाग गये। कुछ देर बाद, उधर से एक अराधनालय का सहायक पुरोहित गुजरा परन्तु उस मनुष्य को घायल अवस्था में देखकर भी, कतरा कर चला गया। उसके बाद, उधर से एक और पुरोहित गुजरा परन्तु उसने भी उस मनुष्य को वहीं छोड़ दिया। फिर एक सामर (सामरिया का निवासी) यात्री उधर से निकला, उसने घायल मनुष्य को तड़पते देखा, और उस पर तरस खाया। उसने उसकी मरहम—पट्टी की और अपनी सवारी पर बैठकर, ‘सराय’ तक ले गया और उसकी सेवा टहल की। दूसरे दिन उसने दो दीनार निकालकर सरायवाले को दिये और कहा—इसकी अच्छी तरह सेवा—टहल करना, और जो कुछ तेरा और खर्चा होगा, मैं लोटने पर तुझे दे दूंगा।

व्यवस्थापक ने उत्तर दिया, यही कि तू अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्वि से प्रेम रख और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।

फिर यीशु ने व्यवस्थापक से पूछा— तेरी समझ में, इन तीनों में से घायल मनुष्य का सच्चा—पड़ोसी कौन ठहरा? व्यवस्थापक ने कहा, वही जिसनें उस पर तरस खाकर, उसकी मदद की। यीशु ने उससे कहा, तू भी ऐसा ही कर।

अर्थात जो धर्म के ठेकेदार थे उन्होने मदद नहीं ​की अपितु सामरी जो दुष्ट व क्रूर माने जाते थं, उनमें से ही एक सामरी ने मदद की। यह कथा नेक सामरी (Good Samaritan) व सच्चा पड़ोसी के नाम से प्रचलित हो गयी।

हर्ष का विषय है कि अब भारत में ‘Good Samaritan’ कानून आ गया है। दुर्घटना में घायल व्यक्ति की निस्वार्थ मदद करने वाला अब देश में ‘नेक बंदा’ कहलाएगा। इसके लिये मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम—2019 में एक नई धारा 134(A) जोड़ी गई है।

प्रोफेसर डॉ मैथ्यू प्रसाद

पूर्व वीसी जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

पूर्व वीसी उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय

ये लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और जरुरी नही दस्तावेज़ इन विचारों का प्रतिबिंब हो।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com