कोटद्वार से कॉर्बेट पार्क के लिए जाने वाले रास्ते को 70 वर्षों के बाद एक बार फिर खोल गया

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कभी ब्रिटिश राज में इस्तेमाल होने वाले कोटद्वार से कॉर्बेट पार्क के लिए जाने वाले रास्ते को 70 वर्षों के बाद एक बार फिर खोल दिया गया है। एक ऐसे मार्ग को, जिसके खुलने से न सिर्फ पर्यटकों की आवाजाही बढ़ जाएगी, बल्कि दिल्ली और चंडीगढ़ के पर्यटक अब कोटद्वार से कॉर्बेट जाने पर 100 किलोमीटर से भी कम रास्ता तय कर जंगल में तमाम तरह के जानवरों को देखकर जंगल सफारी का लुफ्त उठा पाएंगे। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अंग्रेजी लाट साहब भी इसी रास्ते के जरिये टाइगर का दीदार किया करते थे।

कोटद्वार को गढ़वाल का द्वार कहा जाता है। लेकिन पिछले 70 वर्षों से बंद पड़े कोटद्वार से कॉर्बेट जाने वाले मार्ग को बंद कर दिया गया था। इसकी वजह से ये रास्ता सभी पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए भी बंद हो गया था। लेकिन लगातार इस मार्ग को खोलने के लिए कोटद्वार के वाशिंदे भारत सरकार के पास अपनी फरियाद भेजते रहे। उत्तरप्रदेश से अलग होने पर उत्तराखंड को भी पूरी उम्मीद थी कि वर्षों से बंद पड़े इस मार्ग को अब शायद खोला जा सकेगा। पर उत्तराखंड की सरकारें भी इस मुद्दे को लेकर हमेशा मौन ही रहीं।

आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही तो त्रिवेन्द सरकार हरकत में आई और आखिरकार इस मार्ग के अलावा 4 और ऐसे ही मार्गों को तुरंत खोलने की मंजूरी मिल पाई।

मार्ग के खुलने से जंगल के शौकीन तो खुश हुए ही, बल्कि रोजगार अवसर पैदा होने पर वहां की जनता भी खुशी से सराबोर हो गई। वन मंत्री हरक सिंह रावत ने भी इसको ऐतिहासिक कदम बताकर रोजगार के नए अवसर पैदा करने की बात कह कर सकारात्मक संकेत दे दिए।

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