31 जनवरी और 1 फरवरी को दोनों सदनों में नहीं होगा शून्यकाल, बजट के चलते लिया गया फैसला
लोकसभा के आठवें बजट सत्र के दौरान पहले दो दिन दोनों सदनों में कोई शून्यकाल नहीं होगा. इस बात की सूचना न्यूज एजेंसी एएनआई ने दी है. इसके मुताबिक, बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में 31 जनवरी व एक फरवरी को शून्यकाल स्थगित रहेगा. राष्ट्रपति के अभिभाषण व आम बजट की प्रस्तुति के कारण ऐसा किया गया है. बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से होगी. वह 31 जनवरी को राष्ट्रपति सदन के दोनों सदनों को संबोधित करेंगे. यह सत्र दो भाग में आयोजित होगा.
#BudgetSession | Owing to the Address of the President to both Houses assembled together and the Presentation of Union #Budget respectively during the first two days of the 8th session of the 17th Lok Sabha, there will be no 'Zero Hour' on 31st January and 1st February 2022. pic.twitter.com/9K1Bk8Y2yZ
— ANI (@ANI) January 29, 2022
पहला हिस्सा बजट सत्र का होगा जो कि 11 फरवरी को समाप्त होगा. बजट सत्र का दूसरा हिस्सा 14 मार्च को शुरू होगा और 8 अप्रैल को खत्म होगा. बजट से पहले सरकार आर्थिक सर्वेक्षण जारी करती है. इस बार 31 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया जाएगा. यह सर्वेक्षण संसद की पटल पर रखा जाएगा. इस सर्वे में देश की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी दी जाती है. पिछले एक साल का पूरा हिसाब होता है. मौजूदा अर्थव्यवस्था में क्या चुनौतियां हैं और उससे कैसे निपटना है, इसके बारे में सर्वे में जानकारी दी जाती है.
क्या है शून्यकाल
शून्यकाल में कार्यवाही के दौरान सवाल पूछे जाते हैं. शून्यकाल भी प्रश्नकाल की तरह ही टाइम सेगमेंट है, जिसमें सांसद अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते हैं. दोनों सदनों में इसका टाइम अलग-अलग है. लोकसभा में कार्यवाही का पहला घंटा प्रश्नकाल होता है और उसके बाद का वक्त जीरो आवर यानी शून्यकाल होता है. वहीं, राज्यसभा में शून्यकाल से सदन की कार्यवाही की शुरुआत होती है और इसमें बाद प्रश्नकाल होता है. शून्यकाल में सांसद बगैर तय कार्यक्रम के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार व्यक्त करते हैं. लोकसभा में शून्यकाल तब तक खत्म नहीं होता, जबतक लोकसभा के उस दिन का एजेंडा खत्म नहीं हो जाता.
इस साल बजट से क्या है उम्मीद
इस साल केंद्र सरकार का ध्यान कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था को उबारने और देश के आर्थिक सुधार में तेजी लाने का है. देश की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के उपायों की घोषणा होने की भी उम्मीद है. इस बार बीमा क्षेत्र पर भी ध्यान दिया जा सकता है, साथ ही मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को राहत प्रदान की जा सकती है. इस साल करदाताओं को भी टैक्स दरों और सेस में कमी की उम्मीद है. टैक्सपेयर्स भी इस साल स्टैंडर्ड डिडक्शन और रिवाइज्ड टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं. खुदरा क्षेत्र या फिनटेक जैसे उद्योग आसान कंप्लायंस नॉर्म की उम्मीद कर रहे हैं.