शराब की दुकानों को खोलने के पीछे ये हैं सबसे बड़ा राज
पीने वालों को तो पीने का बहाना चाहिए। लेकिन अब बहाने की क्या जरूरत है, क्योंकि लॉकडाउन में घर में फंसे लोगों के लिए अब तो शराब की दुकानें भी खुल जाएगी। देश में आज से लॉकडाउन-3 लागू हो गया है, लेकिन इसमें लोगों को कुछ छूट दी गई है। देश में ज्यादातर प्रदेशों ने शराब के ठेकों को खोल दिया है, जिसके पीछे का सबसे बड़ा गणित आपको जानना चाहिए।
जी हां, राज्य सरकारों ने तमाम शराब की दुकानें खोलने का निर्देश दे दिया है। लॉकडाउन शुरू होने के कुछ दिन बाद से ही राज्य सरकारों ने केंद्र को इस मद्देनजर पत्र लिखने शुरू कर दिए थे कि शराब की दुकानें खोल दी जाएं। राज्य तो यहां तक तैयार थे कि शराब की होम डिलीवरी भी कर दी जाएगी। अब सवाल ये है कि ये बेचैनी क्यों? तो इसका जवाब छुपा है शराब से होने वाली कमाई के गणित में। भले ही आप शराब पीते हों या उससे नफरत करते हों, लेकिन मानेंगे कि शराब की दुकानें अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेजी देने में सबसे जरूरी रोल निभाते है।
लॉकडाउन की वजह से इस वक़्त अर्थव्यवस्था का आलम ये है कि राज्य सरकारों के पास अपने कर्मचारियों को तनख्वा देने के लिए पैसे भी नहीं है। ऐसे में शराब से मिलने वाले रिवेन्यू से राज्य सरकारें अपने कोष को भरने की कोशिश करेंगी। अभी तक अगर आंकड़ों की माने तो लॉकडाउन 2 तक 700 करोड़ का नुकसान शराब की बिक्री न होने से हो चुका है। लेकिन अब राज्य सरकार और ज्यादा नुकसान झेलने के मूड में नहीं है और यही वजह है कि अपने नुकसान की भरपाई के लिए वो सबसे पहले शराब की बिक्री पर लगने पर प्रतिबंध खत्म कर दिया हैं।
बता दें कि अधिकतर राज्यों की 15-30 फीसदी आय शराब से ही होती है। सिर्फ महाराष्ट्र की बात करें तो शराब की वजह से एक्साइज ड्यूटी और अन्य टैक्सों की वजह से उसे एक महीने में करीब 2000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। सिर्फ शराब से ही राज्यों को हर साल करीब 2.48 लाख करोड़ रुपए की कमाई होती है। ऐसे में अपने कोष को भरने के लिए अब शराब की बिक्री पर लगी हुई रोक हटा दी गयी है। यानी साफ है अब तो जाम से जाम टकराएंगे और लॉकडाउन में लोगों का थोड़ा मनोरंजन तो करेंगे ही।