November 23, 2024

जिन्हें नहीं पता कि राफेल आदमी है या विमान

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शाबास! भाजपाइयो-कांग्रेसियो शाबास।
– हमें तुम पर नाज है, तुम्हारा देशप्रेम व निष्ठा देख जनता खुश है।
– राफेद पर झगड़ा, एनआईटी पर चुप्पी कुछ जमा नहीं
तुम दोनों दल लड़ मर जाओ, तो देश का विकास हो जाए।

कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय के सामने वो भाजपा की वो महिला कार्यकर्ता भी खूब चिल्ला रहीं थी जिन्हें नहीं पता कि राफेल आदमी है या विमान। वो महिलाएं भी थीं, जिनके सड़क पर उतरने से उनके बच्चे हाफ इयरली टेस्ट में फेल हो गये थे क्योंकि मां तो भाजपा के नगर निगम चुनाव में मेयर या पार्षद बनाने गयी थी। वो महिलाएं भी थी कि जिनको भाजपा के दिग्गज नेताओं का पीछा करते-करते उनके बच्चे घर में अकेलेपन का शिकार हो गये और मादक द्रव्यों के शिकार हो गये। वो महिलाएं जो घर नहीं चला सकी, सड़क पर राफेल के मामले को लेकर कांग्रेसियों की ऐसी-तैसी करने पर उतारू थी। लेकिन यही महिलाएं तब चुप थी जब प्रसव पीड़ा से ग्रस्त नंदी रुद्रप्रयाग की सड़क पर अपने नवजात को जन्म दे रही थी और उसे दम तोड़ते देख विवश नजरों से देख रही थी। ये भाजपाई और कांग्रेसी जो देश के मुद्दे पर एक-दूसरे का सिर फोड़ने को तैयार थे तो एनआईटी को सुमाड़ी से जयपुर जाते हुए देखते चुप थे। चुप हैं जब एक आग में जली एक लड़की जिंदगी और मौत के बीच चल रही जंग लड़ रही है। ये देश प्रेमी कार्यकर्ताओं की भीड़ तब भी चुप रहती है जब पहाड़ के बेटों की लाश जम्मू-कश्मीर से आती है और ये सरकार से पूछना भूल जाती हैं कि आखिर कब तक कश्मीर में हमारे लाडलों को यूं ही बेवजह जान देनी पड़ेगी। उन्हें अच्छे उपकरण और जान बचाने के उच्च क्वालिटी के साधन क्यों नहीं मुहैया कराए जा रहे हैं? हर महीने एक लाश जिसे वो शहीद कहते हैं, अनचाहे ही प्रदेश में आ जाती है। ये भाजपाई और कांग्रेसी तब चुप हो जाते हैं जब पहाड़ का एक बच्चा गांव छोड़कर जिंदगी की जंग को लेकर मैदान में आता है और होटलों में बर्तन मांजने लगता है? ये तब भी चुप रहते हैं जब कोई स्कूल बंद होता है या पहाड़ के जल, जंगल और जमीन के ठेकेदार मैदानों के लोग बन जाते हैं। ये कार्यकर्ता तब भी चुप रहते हैं जब कोई आपदा हमारे पहाड़ को घेर लेती है। हां, हम तब सब चुप रहते हैं, जब हम खतरे में होते हैं। जब हमें लड़ने के लिए सड़कों पर आना होता है, हम सब चुप रह जाते हैं जब हमारी बोली-भाषा, संस्कृति और पहाड़ खतरे में होता है और हम हर बार पिछलग्गू बन जाते हैं क्योंकि हमारी सोच बहुत बड़ी है और राष्टीय है। हम अपने घर की अनदेखी कर देश के लिए लड़- मर रहे हैं। शाबास, भाजपाइयो-कांग्रेसियो शाबास, हमे तुम पर नाज है।

गुणानांद जखमोला, वरिष्ठ पत्रकार की एफबी पोस्ट से साभार


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