सच शातिर है!: अमित शाह का फरमान, अनिल बलूनी हाज़िर हो
देहरादूनः उत्तराखंड की सियासत भी बड़ी अजीब है। राज्य का इतिहास बताता है कि सत्ता चाहे किसी भी दल की रही हो लेकिन षड़यंत्र खूब रचे गये। छल-कपट का तंत्र इस प्रदेश की सियासत में हमेशा हावी रहा। गजब देखिए भाजपा की प्रचंड बहुमत वाली सरकार पर भी षड़यंत्रों के साये में है। इतिहास के पन्नों को अगर पलट कर देखें तो इन षड़यंत्रों के पीछे एक खास वजह रही। लिहाजा सत्ता के खिलाफ आवाज उठना जायज था। इन आवाजों के सुर एक जैसे थे, और वे सुर पार्टी आलाकमान के निर्णयों के खिलाफ थे। चूंकि जनादेश के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने सत्ता की बागडोर ऐसे लोगों को सौपी जिनका न तो राज्य से कोई सरोकार था और न पार्टी कार्याकर्ताओं से। लेकिन इस बार सरकार के खिलाफ ऐसे लोग षड़यंत्र रच रहे हैं जिनका कोई राजनीतिक आधार नहीं है। इन लोगों ने मीडिया के कुछ ऐसे लोगों को अपने विश्वास में लिया है जो इस अभियान में उनके साथ है।
शुरूआत में यह एजेंडा गोपनीय था लेकिन कुछ होता न देख मजबूरी में अपने आका अनिल बलूनी को सर्वाजनिक कर मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित कर दिया। उधर अनिल बलूनी की करतूतों का जब भाजपा आला कमान को पता चला तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनिल बलूनी को जमकर फटकार लगाई और परफार्मेंट रिपोर्ट के साथ तलब किया।
भंडारी के भक्त टेढ़ी राह
मध्य प्रदेश के भाजपा नेता और गुजरात के राज्यपाल रहे सुंदर सिंह भंडारी के भक्त रहे अनिल बलूनी की महत्वकांक्षाओं का ज्वार अपने उफान पर है। वह प्रदेश की सत्ता हड़पने के लिए खासे उतावले हैं। इसीलिए वह अपने अग्रज निशंक की भांति सियासत की खुरदरी जमीन को समतल करने में जुटे हैं। वह अच्छी तरह से जानते हैं कि जिस मुख्यमंत्री को प्रचंड जनादेश और पार्टी आलाकमान का आशीर्वाद मिला हो उसके खिलाफ षड़यंत्र रचना कोई आसान खेल नहीं है। लेकिन मुख्यमंत्री बनने की लालसा और एक जाति विशेष का सर्वामान्य नेता बनाने का अवसर वह हाथ से नहीं निकलना देना चाहते हैं। लिहाजा अनिल बलूनी अपने जज्बातों को काबू करने असफल हो रहे हैं।
अमित शाह की नसीहत
अनिल बलूनी भले ही मीडिया के कंधों पर बंदूक रख त्रिवेंद्र पर फायर कर रहे हों लेकिन यह भी सच है कि बलूनी के कंधों का भी इस्तेमाल हो रहा है। छद्म राजनीति के घाघ बलूनी को एक मोहरे की तरह इस्तेमाल कर अपना स्वार्थ की पूर्ति कर रहे हैं। अनिल बलूनी का न सिर्फ नेता बल्कि नेता टाइप पत्रकार भी इस्तेमाल कर रहे हैं। यही कारण है कि बलूनी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के खिलाफ मोर्चा खोले हैं। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व इस पूरे प्रकरण पर नजरे बनाये हुए हैं। भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह बलूनी के हर पैंतरे से वाकिफ हैं। यही कारण है कि शाह ने अनिल बलूनी को नसीहत पिलाई है कि वह अपने काम से मतलब रखे। अमित शाह ने बलूनी को नसीहत दी है कि उन्हें जो काम सौंपा है कि वह उस पर ध्यान दें। इसके साथ ही अमित शाह ने बलूनी को अपनी परफाॅर्मेंस रिपोर्ट के साथ पेश होने का हुक्म तामील किया है।
क्या बलूनी के कट सकते हैं पर
अनिल बलूनी भले ही मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब पाले हो लेकिन उनकी करतूत से भाजपा आलाकमान अब नाखुश नजर आ रहा है। केंद्रीय मत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बलूनी की महत्वकांक्षा को भांप चुके हैं। लिहाजा उन्होंने बलूनी के पर कतरने का पूरा मूड़ बना दिया है। सूत्रों का कहना है कि बलूनी की बागवत से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी असहज महसूस कर रह है। लिहाजा आलाकमान बलूनी को टाइट कर इस पूरे प्रकरण का पटाक्षेप करना चाहता हैं।
समर्थकों पर कसेगा शिकंजा
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोले अनिल बलूनी के समर्थकों पर जल्द शिकंजा कसने वाला है। भाजपा आलाकमान ने उन लोगों को चिन्हित किया है जो अनिल बलूनी के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोले हैं। सूत्रों की माने तो इनमें पूर्व विधायक, दर्जाधारी मंत्री और पार्टी पदाधिकारी शामिल है। इन लोगों के खिलाफ जल्द ठोस कार्यवाही होने के संकेत हैं।