पहाड़ों का 90 फ़ीसदी क्षेत्र असिंचित, अलग रणनीति बनाए जाने की ज़रूरतः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को पंडित गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चार दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं उद्योग प्रदर्शिनी के समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, विश्वविद्यालय की प्रबन्ध परिषद के सदस्य और विधायक राजेश शुक्ला, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर एके मिश्रा, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉक्टर वाईपीएस डबास और निदेशक शोध डॉक्टर एसएन तिवारी के साथ ही बड़ी संख्या में किसान व अन्य लोग उपस्थित थे।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह ने पंतनगर विश्वविद्यालय के गौरवशाली अतीत और वर्तमान में उसकी प्रदेश, देश, महाद्वीप और विश्व में स्थापित उज्ज्वल छवि का जिक्र करते हुए कहा कि बीज उत्पादन के क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में विलुप्त हो रहे मोटे अनाजों को संरक्षित व संवर्द्धन के लिए इनके बीज उत्पादन पर विशेष ध्यान दिए जाने पर बल दिया।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने मृदा की गुणवत्ता बढ़ाने एवं सिंचाई के लिए जल के कम से कम उपयोग की तकनीक के प्रति किसानों को जागरूक करने की वैज्ञानिकों से अपेक्षा की। किसानों की आमदनी दोगुना करने की प्रधानमंत्री की योजना के अन्तर्गत समन्वित खेती के मॉडल तैयार किए जाने पर भी उन्होंने बल दिया। राधा मोहन सिंह ने केन्द्र सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में किसानों और कृषि की दशा सुधारने के लिए चलाई गई विभिन्न परियोजनाओं व किए गए कामों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने केन्द्र सरकार की संस्थागत विकास परियोजना के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय को 25 करोड़ की परियोजना दिए जाने की भी घोषणा की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में दो प्रकार के भू-भाग हैं- मैदानी व पर्वतीय. पर्वतीय भू-भाग का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा असिंचित है, इसके लिए अलग प्रकार की रणनीति बनाए जाने की आवश्यकता है। पर्वतीय क्षेत्र के संसाधनों, विशेषकर मानव संसाधन का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। यहां के शिक्षित युवा किस प्रकार का कार्य करना चाहते है, इस पर शोध किए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में उन्नत बीज उत्पादन की संभावनाओं की ओर ध्यान दिए जाने की बात कही।
विधायक राजेश शुक्ला ने खेती की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने तथा बदलते पर्यावरण के अनुसार नए शोध करने के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से कहा तथा आशा प्रकट की कि इस विश्वविद्यालय ने किसानों की आय दोगुना करने का जो बीड़ा उठाया है उसमें अवश्य सफल होगा। पंतनगर विश्वविद्यालय को देश के सभी हिमालयी राज्यों के लिए केन्द्र समर्थित विश्वविद्यालय के रूप में बनाये जाने का उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री से अनुरोध किया।
कुलपति प्रोफ़ेसर मिश्रा ने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त विभिन्न अवार्डों तथा उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने किसान मेले में किसानों को विभिन्न माध्यमों जैसे प्रदर्शन, भ्रमण, गोष्ठी, व्याख्यान इत्यादि से दी गई नई तकनीकों की जानकारी के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकी प्रसार हेतु किए जा रहे कार्यों की भी जानकारी दी। किसानों की आय दोगुना करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए और राज्य व केन्द्र सरकार के स्तर पर सराहे गए 2200 पृष्ठों के दस्तावेज़ की भी जानकारी दी। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा इस दस्तावेज़ का विमोचन भी किया गया।
डॉक्टर वाईपीएस डबास ने चार दिवसीय 103वें चार दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं उद्योग प्रदर्शिनी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस मेले में विभिन्न फर्मों, विश्वविद्यालय एवं अन्य सरकारी संस्थाओं के छोटे-बड़े 300 स्टॉल लगाए गए. मेले में नेपाल के किसान एवं विद्यार्थी भी सम्मिलित हुए।
चार दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं उद्योग प्रदर्शिनी के समापन अवसर पर केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं मुख्यमंत्री ने प्रदर्शिनी के प्रतिभागियों एवं चयनित स्टॉल संचालकों को पुरस्कृत किया। जिसमें सर्वोत्तम स्टॉल के लिए मैसर्स एएच एसोसिएट (किसान फर्टिलाइजर एजेंसी) दानपुर, रुद्रपुर और सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए उत्तरांचल एग्रो इन्डस्ट्रीस, किच्छा, ऊधमसिंह नगर को ट्रॉफी देकर पुरस्कृत किया गया।
मेले में लगी उद्यान प्रदर्शनी में सबसे अधिक 34 (19 प्रथम व 15 द्वितीय) पुरस्कार प्राप्त करने पर उत्तराखण्ड सैनिक पुनर्वास संस्था, पत्थरचट्टा के लिए फार्म अधीक्षक वीपी श्रीवास्तव को तथा व्यक्तिगत रूप से 22 (8 प्रथम एवं 14 द्वितीय) पुरस्कार प्राप्त करने पर भी वीपी श्रीवास्तव को शील्ड प्रदान की गई। विश्वविद्यालय व अन्य सरकारी संस्थानों के स्टॉलों को भी उनके प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत किया गया। इसके अतिरिक्त इस अवसर पर किसान मेले में आयोजित पशु प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता में विभिन्न स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को भी पुरस्कार प्रदान किए गए. साथ ही मेले में लगाए गए विभिन्न वर्गों के स्टॉलों को भी उनके प्रदर्शन व बिक्री के आधार पर पुरस्कृत किया गया।