उत्तराखंड:नगर निकाय चुनाव से पहले राज्य सरकार ने निकायों के लिए खोली अपनी पोटली,निकायों को मिले 138.55 करोड़

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देहरादून। नगर निकाय चुनाव से पहले राज्य सरकार ने निकायों के लिए अपनी पोटली खोल दी है। छह नगर निगमों, 40 नगरपालिकाओं और 14 पुरानी नगर पंचायतों पर 138.55 करोड़ की धनवर्षा की गई है।

इससे निकायों को विकास कार्यों के लिए पैसा तो मिला ही, साथ में वहां कार्यरत कार्मिकों का भी खासा ख्याल रखा गया है। उन्हें वेतन व पेंशन भुगतान में दिक्कत नहीं होगी। पथ प्रकाश के लिए पैसा होने से निकायों के तमाम वार्ड रोशनी से जगमगाएंगे। इसके साथ ही सरकार ने यह हिदायत भी दी कि अगले वित्तीय वर्ष 2018-19 में शहरी स्थानीय निकायों और जिला पंचायतों ने खुद की आमदनी में 10 फीसद वृद्धि नहीं की तो उन्हें बढ़ी धनराशि नहीं मिलेगी।

राज्य सरकार ने चौथे राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक उक्त नगर निकायों को चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 की चौथी और अंतिम तिमाही यानी एक जनवरी से मार्च, 2018 तक 137.15 करोड़ और केंद्रीयत पेंशन निधि के लिए 1.4017 करोड़ समेत कुल 138.5544 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

वित्त सचिव अमित नेगी ने धनराशि अवमुक्त करने के आदेश जारी किए। यह राशि राज्य के कुल 60 नगर निकायों को मिलेगी। हालांकि राज्य में नगर निकायों की संख्या बढ़कर 92 हो चुकी है। लेकिन, चौथे राज्य वित्त आयोग ने नए नगर निकायों के स्थान पर पहले से स्थापित निकायों के लिए ही बजट प्रावधान किया है। नए दो नगर निगमों समेत कुल 32 नगर निकायों के लिए वित्तीय प्रावधान पांचवां राज्य वित्त आयोग करेगा।

शासनादेश के मुताबिक उक्त धनराशि से सबसे पहले निकायों के स्वीकृत पदों पर कार्यरत सभी प्रकार के कर्मचारियों के वेतन-भत्ते, पथ प्रकाश, जल संस्थान के देयकों एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों के दावों का भुगतान होगा।

इसके बाद शेष धनराशि से केवल केवल सफाई व स्वच्छता संबंधी वाहन जैसे कूड़ा वाहन, डंपर, टिप्पर, जेसीबी कम्पेक्टर वाहन खरीदे जा सकेंगे। स्वच्छता से इतर अन्य वाहनों जीप, स्टाफ कार को इस धनराशि से खरीदा नहीं जा सकेगा। धनराशि वचनबद्ध मदों में ही खर्च होगी।

निकायों को वित्तीय वर्ष 2018-19 की दूसरी किश्त की धनराशि तब ही जारी की जाएगी, जब लेखा परीक्षक निदेशक या उनसे नामित अधिकारी पेंशन निधि के लिए अंशदान और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के दावों का भुगतान निकायों से किए जाने का प्रमाणपत्र देंगे।

आदेश में यह भी हिदायत है कि आयोग की सिफारिश के मुताबिक अगले वित्तीय वर्ष में नगर निकायों और जिला पंचायतों को बढ़ी हुई धनराशि तब ही मिलेगी, जब वे अपने खुद के राजस्व में दस फीसद वृद्धि करेंगे। अन्यथा अगले वित्तीय वर्ष में धनराशि चालू वित्तीय वर्ष के समान ही मिलेगी।

 

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