बजट 2023: क्या अखिलेश यादव के समर्थन में हैं मायावती? बजट पर कहा- ‘झूठी उम्मीदें क्यों?’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बुधवार को आम बजट 2023-24 संसद में पेश किया. इसपर विरोधी दलों की प्रतिक्रिया आने लगी है. बजट पेश होने के बाद बीएसपी प्रमुख मायावती ने प्रतिक्रिया दी है.
बीएसपी प्रमुख ने कहा, “देश में पहले की तरह पिछले नौ वर्षों में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, किन्तु वे सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोवर मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद.”
मायावती ने आगे कहा, “इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं. पिछले साल की कमियाँ कोई सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दाव पर लगा रहता है जैसे पहले था. लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?.”
1. देश में पहले की तरह पिछले 9 वर्षों में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, किन्तु वे सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोवर मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद। 1/4
— Mayawati (@Mayawati) February 1, 2023
इन्हें बताया असली भारत
बसपा सुप्रीमो ने कहा, “सरकार की संकीर्ण नीतियों व गलत सोच का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन करोड़ों गरीबों किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं. किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं.”
उन्होंने कहा, “केन्द्र जब भी योजना लाभार्थियों के आँकड़ों की बात करे तो उसे जरूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं. उनके लिए बातें ज्यादा हैं. बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर.”
इससे पहले अखिलेश यादव ने बजट को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “भाजपा अपने बजट का दशक पूरा कर रही है पर जब जनता को पहले कुछ न दिया तो अब क्या देगी. भाजपाई बजट महंगाई व बेरोज़गारी को और बढ़ाता है. किसान, मज़दूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में इससे आशा नहीं निराशा बढ़ती है क्योंकि ये चंद बड़े लोगों को ही लाभ पहुँचाने के लिए बनता है.”