September 22, 2024

यूनिवर्सिटीः मानवाधिकारों की रक्षा समाज की जरूरतः प्रो0.यूएस रावत

देहरादून। विश्व मानव अधिकार दिवस पर श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में जनसंचार विभाग तथा राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुये विवि के कुलपति प्रो0 यूएस रावत ने कहा कि मानवाधिकारों की सरक्षा समान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय से जागरूकता और एक दूसरे का सहारा बनकर मानवाधिकारों की रक्षा की जा सकती है।

गुरूवार को विवि में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसमें मानव अधिकार और मीडिया की भूभिका पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवीय अधिकारों के प्रति जागरूकता के लिए मनाया जाता है। मानवाधिकार दिवस मानव अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए स्थापित किया गया था, जो किसी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित अधिकारों के सरंक्षण पर काम करता है। वेबीनार की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने की। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि मानवाधिकार, किसी भी इंसान के जीवन, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है।

एसजीआरआर यूनिवर्सिटी में मानवाधिकार एवं मीडिया पर बेविनार का आयोजन

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यू.एस. रावत ने कहा कि मानव अधिकार आज समाज की बराबरी के लिए जरूरी हैं ताकि स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व की भावना का विकास हो सके। शिक्षा की इस दिशा में काफी अहम भूमिका हैं।

कुलपति डॉ. यू.एस. रावत

शैक्षणिक संस्थान नई पीढी को मानवता के रक्षक के रूप में तैयार कर सकते हैं। इस वर्ष मानव अधिकर की थीम ‘‘रिकवर बेटर -स्टैंड अप फॉर ह्यूमन राइट्स ‘‘ है जो कि कोरोना काल में और भी अधिक अहम और प्रांसगिक हो गई है। उन्होंने स्कूल ऑफ ह्यूमनेटीज एंड सोशल साइंसेस के प्रयासों को सराहनीय बताया।

इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसविच प्रो. दीपक साहनी ने कहा कि जागरूक मीडिया ही एक संवेदनशील और न्यायसंगत समाज के निर्माण में सहयोगी हो सकता है। मीडिया को बिना किसी भेदभाव के सभी को विकास के लिए समान अवसर मिले इसकी पैरवी करनी चाहिए।

विश्वविद्यालय समन्वयक प्रो. मालविका कांडपाल ने मानवाधिकार चार्टर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विश्व के सभी व्यक्तियों की समानता के लिए यह एक सार्वभौमिक दस्तावेज है जिसने मानवीय मूल्य एवं गरिमा की ओर पूरे विश्व का ध्यान खींचा है।

प्रोफेसर आशीष कुलश्रेष्ठ, जनसंचार विभाग प्रमुख एवं डॉ. प्रीति तिवारी, राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष ने वक्ताओं का परिचय कराया। बेबीनार के मुख्य वक्ता डॉ. सुशील उपाध्याय, प्रिंसिंपल एंड प्रोफेसर चमन लाल डिग्री कालेज लंढौरा ने ‘मानवाधिकारों का परिचय‘ देते हुए कहा कि आज हर मीडिया संस्थान का समाजिक परिवेश को देखने का अपना-अपना नजरिया है। मीडियाकर्मियों और मीडिया संस्थानों के व्यक्तिगत हितों ने समाचारों के प्रस्तुतीकरण की परिभाषा बदल ली है। मीडियाकर्मी आज खुद अपने मानवाधिकरों के लिए आवाज नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे में एक बेहतर समाज के लिए उनसे कितनी अधिक अपेक्षा की जा सकती है, यह अपने आप में एक चिंता का विषय है।

बेबीनार की तीसरी वक्ता डॉ. राखी पंचोला, हेड और एसोसिएट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान विभाग, दुर्गामल पीजी कॉलेज डोइवाला ने ‘मानव अधिकार और महिलाएं‘ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आज भी समाज में दोयम दर्जा मिला हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, संपत्ति और भूमि जैसे कई अधिकारों से वे आज भी वंचित हैं। मानवाधिकार आज भी महिलाओं की पहुंच से काफी दूर हैं।

इस मौके पर मानविकी और समाज विज्ञान विभाग की डीन डॉ. गीता रावत ने कहा कि मानव समाज में किसी भी वर्ग के साथ भेदभाव मानवाधिकारों का हनन है। मीडिया समाज में व्याप्त भेदभावों पर प्रकाश डालकर काफी हद तक समाज में समानता के लिए आवाज उठा सकता है। बेविनार के समापन पर उन्होंने अतिथि वक्ताओं का आभार व्यक्त किया। बेविनार का संचालन डॉ. सगारिका दास एवं डॉ. आशा बाला ने किया। बेविनार में छात्र-छात्राओं द्वारा विशेषज्ञों से कई प्रश्न भी किए गए।


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