क्या चुनाव से पहले बसपा में शामिल होंगे सपा सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क, जानिए- क्यों हो रही चर्चा?

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उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क के बोल आजकल बदले हुए हैं. वो आजकल सपा प्रमुख अखिलेश यादव  से अधिक बसपा प्रमुख मायावती की प्रशंशा करते हुए सुने जा रहे हैं. उनके इस बदले सुर ने चर्चाओं का बाजार गरम कर दिया है. उनके बसपा में शामिल होने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं. बसपा प्रमुख मायावती भी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने में मशगूल हैं. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद वो अपने खोए हुए वोट बैंक को सहजने में लगी हुई हैं. इसी कड़ी में वो मुसलमानों को अपनी ओर करना चाहती हैं.

डॉक्टर बर्क ने कहा क्या है 

मायावती ने अपने जन्मदिन पर ऐलान किया कि बसपा अगला चुनाव अकेले ही लड़ेगी. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा था,”मैं भी उनकी पार्टी में रह चुका हूं,मैं चुनाव जीता था और सपा हार गई थी. मायावती ने अपनी बिरादरी के लिए जमकर काम किया है.मायावती एक शख्सियत हैं, उनकी देश को जरूरत है और ओबीसी पर जुल्म ज्यादती रोकने के लिए मायावती की जरूरत है.” उन्होंने कहा था कि एक मुसलमान के रूप में वो भी मायावती का समर्थन करते हैं.

बर्क के इस बयान को बसपा ने सकारात्मक माना. बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने एक ट्वीट में कहा,”सपा सांसद के आदरणीय मायावती के बारे में रखे विचार हर दल के लोगों की राय हैं.बहन ने ना सिर्फ दलित समाज बल्कि मुस्लिमों और ओबीसी समाज के साथ-साथ समाज के हर तबके का विकास किया है.उत्तर प्रदेश की जनता ही नहीं आज विपक्ष भी आदरणीय मायावती के अनुशासित नेतृत्व और सर्वसमाज की हितकारी नीतियों को समझ चुका है.समाज के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन देने वाली,बाबा साहेब के विचारों को अग्रसर करने वाली आदरणीय मायावती के साथ प्रदेश की जनता यकीन के साथ खड़ी है.”

चर्चाओं का बाजार गर्म

बर्क के ताजा बयान के बाद इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि वो बसपा में वापसी कर सकते हैं. माना जा रहा है कि लोकसभा में डॉक्टर एसटी हसन को सपा का नेता बनाए जाने से वो नाराज हैं. डॉक्टर हसन पहली बार सांसद बने हैं, जबकि बर्क कई बार सांसद और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं. अपनी नजरअंदाजी से वो नाराज बताए जा रहे हैं. वहीं जिस तरह से बसपा मुसलमान नेताओं को अपनी पार्टी में जगह दे रही है, उससे भी उन्हें वहां ज्यादा उम्मीद नजर आ रही है.बसपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता इमरान मसूद को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. मसूद कई दलों से होते हुए बसपा में पहुंचे हैं.

राजनीतिक टीकाकारों का कहना है कि अगर मुसलमान समाजवादी पार्टी से नाराज हुए और बसपा की ओर गए तो लोकसभा चुनाव में सपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.  वैसे भी बसपा लोकसभा में सपा से बड़ी पार्टी है. दोनों दलों ने पिछला लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ा था. लेकिन रिजल्ट आने के बाद बसपा ने यह गठबंधन तोड़ लिया था.