September 22, 2024

9/11: 20 साल पहले आज ही के दिन आतंकवादी हमले से हुआ था अमेरिका का सीना छलनी

इतिहास में 11 सितंबर का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के सीने पर इस दिन हुए घातक आतंकी हमले ने एक ऐसा जख्म दिया, जिसकी टीस रहती दुनिया तक कायम रहेगी। 2001 को 11 सितंबर के दिन आतंकवादियों ने यात्री विमानों को मिसाइल की तरह इस्तेमाल करते हुए अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड टॉवर और पेंटागन को निशाना बनाया। इसे अमेरिका के इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमले के तौर पर देखा जाता है।

9/11 हमें आतंकवाद से लड़ने के सामूहिक संकल्प की याद दिलाता है: भारत

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमलों की बरसी के मौके पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने कहा है कि वे आतंकवाद के सभी रूपों को रोकने और उसका मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता को लेकर आज भी उतने ही एकजुट हैं जितने दो दशक पहले थे। वहीं, भारत ने कहा कि 9/11 स्मारक हमें आतंकवाद से लड़ने और इसे सही ठहराने के सभी प्रयासों का खंडन करने के सामूहिक संकल्प की याद दिलाता है।

पंद्रह सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद ने हमलों की 20वीं बरसी पर बृहस्पतिवार को एक प्रेस बयान जारी किया, जिसमें याद किया गया कि परिषद ने दो दशक पहले हुए भयानक आतंकवादी हमलों की तुरंत निंदा की थी। प्रेस बयान में कहा गया है, ”आज, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने न्यूयॉर्क शहर में 11 सितंबर को हुए हमले के स्मारक और संग्रहालय की यात्रा के जरिये वर्षगांठ को चिह्नित किया। आतंकवाद के सभी रूपों के रोकने और उसका मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता के मामले में सुरक्षा परिषद के सदस्य आज भी उतने ही एकजुट हैं, जितने 20 साल पहले थे।”

सुरक्षा परिषद के 15 देशों के स्थायी प्रतिनिधियों ने नौ सितंबर को 9/11 स्मारक और संग्रहालय का दौरा किया था। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “9/11 आतंकी हमले की 20वीं बरसी पर न्यूयॉर्क के ग्राउंड जीरो में उपस्थित होना वास्तव में एक रोमांचक अनुभव था। मैंने शहीद हुए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनमें कई भारतीय भी शामिल हैं। स्मारक हमें आतंकवाद से लड़ने और इसे सही ठहराने के सभी प्रयासों का खंडन करने के सामूहिक संकल्प की याद दिलाता है।”

सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने आतंकी हमलों में मारे गए 90 से अधिक देशों के 2,977 लोगों के सम्मान में स्मारक पर माल्यार्पण किया।


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