भारत के साथ संबंध पर अमेरिका की दो-टूक, कहा- अपनी खूबियों पर टिके हैं रिश्ते, रूस के साथ तनाव का असर नहीं

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने कहा है कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध अपनी विशेषताओं पर आधारित हैं और रूस के साथ जारी तनाव का इन पर असर नहीं पड़ा है. इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘भारत सरकार की विदेश नीति की वजह से चीन-पाकिस्तान करीब आ रहे हैं’ वाले बयान पर अमेरिका ने कल प्रतिक्रिया दी थी.

विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कल गुरुवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भारत के साथ हमारा रिश्ता अपनी खूबियों पर टिका है.’ प्राइस से यह पूछा गया था कि क्या यूक्रेन संकट को लेकर रूस के साथ तनाव के कारण भारत के साथ अमेरिकी संबंधों पर असर पड़ा है.

इस सप्ताह दूसरी बार विदेश विभाग के प्रवक्ता ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर भारत के रुख से संबंधित सवालों के जवाब देने से परहेज किया. प्राइस ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने रुख पर चर्चा करने के लिए मैं इसे अपने भारतीय साझेदारों पर छोड़ देता हूं.’

प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘रूस के सैन्य जमावड़े और यूक्रेन के खिलाफ उसकी अकारण संभावित आक्रामकता के बारे में हमारी चिंताओं पर हम अपने भारतीय साझेदारों सहित दुनिया भर के दर्जनों देशों के साथ संपर्क में हैं.’

राहुल गांधी के बयान पर प्राइस का टिप्पणी से इनकार

प्राइस ने कहा कि ये ऐसी बातचीत है जो अमेरिका विभिन्न स्तरों पर कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘जैसा कि मैंने पहले एक अलग संदर्भ में कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का उसके आस पास के देशों से परे सुरक्षा वातावरण पर असर पड़ेगा. चाहे वह चीन हो या भारत अथवा दुनिया भर के देश, इसके प्रभाव दूरगामी होंगे और मुझे लगता है कि सभी इसे लेकर व्यापक समझ रखते हैं.’

इससे पहले भारतीय संसद में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘भारत सरकार की विदेश नीति की वजह से चीन-पाकिस्तान करीब आ रहे हैं’ वाले बयान पर अमेरिका ने कल प्रतिक्रिया दी. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘मैं राहुल गांधी की इस टिप्पणी का समर्थन नहीं करूंगा.’ राहुल ने अपने भाषण में कहा था, ‘आप खतरे से खेल रहे हैं. मेरी सलाह है कि रुक जाइए.’ उन्होंने आगे कहा, ‘आप खतरे को हल्के में मत लीजिए. आप चीन और पाकिस्तान को साथ ला चुके हैं. मुझे कोई संदेह नहीं है कि चीन के पास स्पष्ट योजना है. इसकी बुनियाद डोकलाम और लद्दाख में रख दी गई है.’