September 22, 2024

मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने अखिलेश यादव पर कसा तंज! जन्मदिन पर किया पिता का अपमान, यदुवंश समाज जरूर लेगा बदला

उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले से BJP विधायक और प्रदेश के शहरी एवं आवास नियोजन राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर अखिलेश यादव ने पिता का अपमान किया है. जो यदुवंश समाज ने देखा जिसका बदला यदुवंश समाज जरूर लेगा. फिलहाल माना जा रहा है कि जैसे-जैसे यूपी में विधानसभा 2022 का चुनाव का समय नजदीक आएगा, वैसे-वैसे राजनीतिक तंज तेज होंगे.

दरअसल, योगी सरकार के मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने सपा के संरक्षक व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह के साथ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा किए गया व्यवहार की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को यदुवंश समाज माफ नही करेगा. चूंकि बीते कुछ साल पहले सपा संरक्षक और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव किसी सभा के दौरान मंच पर मौजूद थे. इसी बीच अखिलेश पिता के पास पहुंचते हैं और किसी बात को लेकर दोनों में विवाद होता दिखाई देता है. कुछ सपा नेता भी पिता-बेटे के विवाद में बीच-बचाव की मुद्रा में आते दिखाई दे रहे हैं.

पिता-चाचा जो भी हो धकियाना पड़ता है- BJP

बता दें कि बीते दिनों यूपी बीजेपी ने एक पुराना वीडियो भी शेयर किया था. उस वीडियों के साथ लिखा कि गद्दी छीनने के लिए सियासत में पार्टी को यूं भी हथियाना पड़ता है, पिता-चाचा जो भी हो, उसको धकियाना पड़ता है. इस पर बीजेपी ने आगे लिखा कि समझ गए न किसकी बात हो रही है? याद है न, कहीं भूले तो नहीं? हालांकि माना जा रहा है कि जैसे-जैसे यूपी में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आएगा, वैसे-वैसे दोनों तरफ से वार-पलटवार तेज होंगे.

300 करोड़ का सैफई महोत्‍सव कराने वाले नहीं जानते किसान का दर्द- गिरीश चंद्र यादव

गौरतलब है कि बीते साल राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और आजमगढ़ के सांसद अखिलेश यादव को घेरते हुए कहा कि अखिलेश यादव सैफई में तीन सौ करोड़ का महोत्सव कराते है, लेकिन अखिलेश यादव यह बताए कि उन्होने किसानों के लिए कितनी योजना लाए. उन्होंने बताया कि केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार में अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने और बहुजन समाज पार्टी ने केन्द्र सरकार को समर्थन दिया था. उस समय स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट भी आ गयी थी, लेकिन न तो समर्थन मूल्य घोषित हुआ और न ही आयोग की रिपोर्ट पर किसी का ध्यान गया.


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