गन्ना किसानों के बकाए भुगतान मामले पर सड़क से लेकर सदन तक हंगामा।
देहरादून। गुरूवार को उत्तराखण्ड विधानसभा शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में नियम 58 के तहत गन्ना किसानों के मुद्दे पर चर्चा शुरु हुई तो कांग्रेस विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन ने गन्ना किसानों के बकाए भुगतान का मामला उठाया। गन्ना किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस ने मिलकर हमला किया और चीनी मिलें बंद होने, समर्थन मूल्य घोषित न होने, किसानों की आत्महत्या के लिए सरकार को दोषी ठहराया। सरकार की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि एक हफ़्ते में गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित कर दिया जाएगा।
कौशिक ने कहा कि साल 2016-17 में गन्ने का मूल्य 230 रुपये प्रति कुन्तल था. भाजपा सरकार ने इसे 275 रुपये प्रति कुन्तल किया. कांग्रेस सरकार ने प्राइवेट मिलों के लिए 16-17 में 2 रुपये अनुदान घोषित किया था भाजपा सरकार ने इसे 4.50 रुपये किया।
गन्ना किसानों के बकाया भुगतान का मामला उठाते हुए क़ाज़ी निज़ामुद्दीन ने कहा कि गन्ना किसानों के 250 करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया हैं। उन्होंने दो चीनी मिलों के बंद होने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि पेराई सत्र शुरु हो गया लेकिन गन्ने का मूल्य घोषित नहीं किया गया यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
आपको बता दें कि पूर्व सीएम हरीश रावत आज देहरादून में विधानसभा के सामने उपवास पर बैठे। उनका उपवास उन गन्ना किसानों के समर्थन में है जिनकी फसल का चीनी मिलों ने पिछले साल या 2 सालों से भुगतान नहीं किया है। हरीश रावत का कहना है कि पैसा नहीं मिलने से किसान परेशान है। गन्ना कट नहीं पा रहा और किसानों के सामने दिक्कत है कि वह गेंहू बो नहीं पा रहे. ऐसे में कांग्रेस के विधायक सदन में तो बाकी नेता सड़क पर आवाज़ उठा रहे हैं.