September 22, 2024

उत्तराखंडः कर्मकार बोर्ड से हटाए गए 38 कर्मचारी होंगे बहाल, श्रम मंत्री हरक सिंह सुर्खियों में

देहरादून। पिछली त्रिवेंद्र सरकार में चर्चा के केंद्र में रहा उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड अब फिर से सुर्खियों में है। सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद अब श्रम मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने पूर्व में बोर्ड से हटाए गए 38 कर्मचारियों को बहाल करने के आदेश श्रम सचिव को दिए हैं। डा. रावत के आदेश के बाद प्रदेश में एक बार फिर हरक सिंह रावत सुर्खियों में बन गये है। आये दिन रावत पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को लेकर भी बयान बाजी कर रहे है और अब अपने तरीके से नेय मुखिया को चलाने का भी ऐलान कर चुके है। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व में हटाये गये कर्मचारियों को लेकर डा.रावत ने कहा कि इन कर्मियों को उसी तिथि से बहाल किया जाए, जब उन्हें हटाया गया था। यही नहीं, एक रोज पहले शासन ने बोर्ड की सचिव को भी बदल दिया था।

इससे इतर भी श्रम मंत्री डा.रावत कहा कि हमारा पहला दायित्व रोजगार देने का होना चाहिए, न कि बेवजह किसी को हटाने का। इसी के दृष्टिगत उन्होंने यह आदेश दिए हैं। राज्य के गठन के पीछे भी यही मंशा थी कि यहां के निवासियों के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं। गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में पिछले साल अक्टूबर में बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देख रहे श्रम मंत्री डा.रावत को अचानक हटा दिया गया था। साथ ही शमशेर सिंह सत्याल को बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया था। शासन का कहना था कि सरकार के फैसले के अनुरूप बोर्ड का पुनर्गठन किया गया है।

हालांकि, तब डा.रावत ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा था कि उन्हें नियमों के विपरीत हटाया गया है। बावजूद इसके सरकार ने समूचे बोर्ड का नए सिरे से पुनर्गठन कर दिया था। बोर्ड के सचिव का दायित्व देख रहीं दमयंती रावत को उनके मूल विभाग में भेजकर श्रमायुक्त दीप्ति सिंह को सचिव का जिम्मा सौंपा गया था। दमयंती रावत को श्रम मंत्री डा.रावत के करीबियों में माना जाता है।

यही नहीं, पिछले साल नवंबर में हुई नवगठित बोर्ड की पहली ही बैठक में पिछले बोर्ड के तमाम फैसलों को भी पलट दिया था। इस बीच ये बात भी सामने आई कि बोर्ड के विभिन्न कार्यों में नियमों की अनदेखी की गई।

बाद में बोर्ड के माध्यम से कोटद्वार में ईएसआइ अस्पताल के लिए 20 करोड़ की राशि बतौर ऋण दिए जाने का मामला उछला। इस प्रकरण पर सरकार ने जांच बैठाई, जिसकी रिपोर्ट शासन को सौंपी जा चुकी है।

इसमें बोर्ड की तत्कालीन सचिव समेत चार कार्मिकों की लापरवाही को इंगित किया गया था। वहीं अब देखना दिलचस्ब हो गया है कि डा. सिंह के चार कर्मचारियों के खिलाफ वर्तमान सरकार एक्शन ले पाती है या नही।


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