September 22, 2024

उत्तराखण्डः भाजपा के अंदर बड़ी हलचल, प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव के संकेत

देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा अब सरकार गठन के बाद संगठन को मजबूत करने बदलाव को लेकर जुट चुकी है। इसके लिए संगठन स्तर पर बड़े फेरबदल की कयासबाजी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दिल्ली दौरा और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम का देहरादून दौरा इसी बदलाव की शुरुआत का हिस्सा माना जा रहा है। जल्द ही भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने की संभावना है।

भाजपा उत्तराखंड में उपचुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने में जुट गई है। विधान सभा चुनाव के दौरान जिस तरह के आरोप संगठन पर लगे हैं। उसके बाद भाजपा को संगठन में बदलाव करने का दबाव है। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर भी लक्सर के पूर्व विधायक संजय गुप्ता ने भितरघात के आरोप लगा चुके हैं। ऐसे में पार्टी हाईकमान हारी हुई 23 सीटों पर समीक्षा की रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई करेगी।

इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली दौरे से हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री उपचुनाव से लेकर प्रदेश अध्यक्ष के मसले पर हाईकमान से चर्चा कर सकते हैं। जिस पर जल्द ही हाईकमान को निर्णय लेना है। मुख्यमंत्री धामी दिल्ली पहुंचे तो प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम देहरादून पहुंचे हैं। प्रदेश प्रभारी संगठन के लोगों से मिलकर रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं।

पार्टी हाईकमान ये भी फीडबैक लेना चाहती है कि प्रदेश अध्यक्ष का चयन उपचुनाव तक टाला जाए, या फिर तुरंत बदलाव जरुरी है। जिससे पार्टी के अंदर चल रहे बदलाव के सुगबुगाहट को शांत किया जाए। इसके साथ ही पार्टी उपचुनाव को भी लंबा नहीं टालना चाहती है। जिससे उस विधानसभा में पार्टी को माहौल बनाने का मौका मिल सके और आसानी से चुनाव जीत सके।

मुख्यमंत्री अब तक 3 जिलों का दौरा कर चुके हैं। सबसे पहले चंपावत उसके बाद रूद्रप्रयाग और तीसरा उत्तरकाशी। इनमें से चंपावत और रुद्रप्रयाग में विधायक सीट छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं। जबकि कांग्रेस के नाराज विधायक हरीश धामी भी धारचूला सीट छोड़ने की बात कर चुके हैं। उपचुनाव और प्रदेश अध्यक्ष इन पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की राय सबसे अहम होगी।

हाईकमान सरकार और संगठन में समन्वय के लिए संगठन की जिम्मेदारी ऐसे नेता को सौंपेगी जो कि धामी के साथ पूरी तरह से समन्वय बनाकर काम करे। गढ़वाल से ही प्रदेश अध्यक्ष बनना तय इसके लिए पार्टी जातिगत समीकरण और क्षेत्रीय समीकरण का संतुलन भी जरुर साधना चाहेगी। अबकी बार गढ़वाल से ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। जिन नामों पर अब तक सबसे ज्यादा कयासबाजी चल रही है। उनमें पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सबसे प्रमुख दावेदार बताए जा रहे हैं।


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