उत्तराखण्डः जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने को राजी नहीं है नौकरशाही
देहरादून। उत्तराखण्ड में नौकरशाही इस कदर हावी हो चली है कि अब नौकरशाह जनप्रतिनिधियों को उनकी पद की गरिमा के मुताबिक सम्मान देने को भी राजी नहीं है। उत्तराखण्ड में कई मौके आये जब मंत्री से लेकर विधायक तक प्रदेश में हावी होती नौकरशाही पर सवाल खड़े कर चुके हैं। सत्ताधारी हमेशा बेलगाम होती नौकरशाही के पेंच कसने के दावे तो करती रही है, लेकिन हालात कुछ बदले नहीं है। बात यहां तक पहुंच चुकी है कि अब नौकरशाही जनप्रतिनिधियों को अपने दफ्तर के चपरासी से ज्यादा समझने को तैयार नहीं है।
ताजा वाकिया केदारनाथ शैलारानी रावत से जुड़ा है। सोमवार को विधायक शैलारानी रावत केदारनाथ धाम में यात्रा व्यवस्थाओं और अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपने गई। बताया जा रहा है कि मुख्यसचिव ने ज्ञापन रिसीव तो किया लेकिन उन्होंने अपनी कुर्सी से एक इंच भी हिलना उचित नहीं समझा। सोशल मीडिया में केदारनाथ विधायक ने ज्ञापन सौंपने की जो तस्वीर जारी की है उसमें मुख्य सचिव अपनी कुर्सी पर ही बैठे-बैठे ज्ञापन रिसीव कर रहे है जबकि विधायक उनके सम्मुख खड़ी है।
केदारनाथ से ताल्लुक रखने वाले समाजसेवी मोहित डिमरी ने इसे जनप्रतिधि का अपमान बताया। वे कहते है कि क्या मुख्य सचिव नहीं जानते कि एक विधायक का प्रोटोकॉल क्या होता है? उन्होंने कहा कि प्रदेश में हालात यहां तक पहुंच चुके है कि अफसर जनप्रतिनिधियों को जूते की नोक पर रखते हैं। उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी हावी है। मोहित डिमरी ने कहा कि मुख्य सचिव को विधायक के प्रोटोकॉल का सम्मान करते हुए ज्ञापन रिसीव करते हुए खड़ा होना चाहिए था। यह सरासर विधायक का अपमान है और इसके लिए मुख्य सचिव को माफ़ी मांगनी चाहिए।