September 22, 2024

उत्तराखंडः डर और तनाव की वजह से दम तोड़ रहे कोरोना संक्रमित मरीज, रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट रही

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देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण का प्रसार तेजी से होने के कारण अधिकतर संक्रमित मरीज डर और तनाव से दम तोड़ रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार डर और तनाव से शरीर की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) घटने के अलावा ऑक्सीजन स्तर भी असंतुलित हो जाता है। डर से कोरोना संक्रमित मरीज को सामान्य स्थिति में लाना भी बेहद मुश्किल होजाता है। ऐसे में अधिकांश मरीज इलाज से पहले ही हार मान लेते है और दम तोड देते है।

जानकारों की माने तो इच्छा शक्ति कमजोर होने से दवाओं का अपेक्षाकृत प्रभाव कम हो जाता है। यही कारण है कि कई लोगों के कोरोना संक्रमित होते ही कई अंगों के काम न करने की शिकायतें सामने आ रही हैं। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं फिजीशियन डॉ. कुमार जी. कॉल और वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. जनेंद्र कुमार ने बताया कि गंभीर बीमारी में मन में अगर डर घर कर जाए तो हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर समेत मल्टी ऑर्गन खराब होने की समस्या बढ़ जाती है। इससे डाॅ को मरीज को ठीक करने में समय भी अधिक लगता है और मरीज गंभीर स्थिति में भी पहुंच जाते है। साथ ही इससे मुख्य बीमारी को कंट्रोल करने में भी समस्या के साथ दूसरे कारणों से जान की जाने की स्थिति बन जाती है। किसी भी बीमारी की रिकवरी के लिए मरीज की इच्छा शक्ति बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाती है।

बुखार और थकावट जैसे लक्षण दिखें तो तत्काल विशेषज्ञ को दिखाएं

प्रदेश के जाने माने डाॅ व मुख्यमंत्री के चिकित्सक एवं राजकीय जिला कोरोनेशन अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट ने बताया कि कोरोना से बचाव के सबसे महत्वपूर्ण दो बिंदु हैं। एक तो जैसे ही बुखार और थकावट जैसे लक्षण दिखें तो तत्काल विशेषज्ञ को दिखाएं। डॉक्टर शुरुआत में सामान्य बुखार की और अन्य सामान्य दवाएं देते हैं। उसके बाद भी बुखार नहीं उतरता है और इन्फेक्शन बढ़ता है तो स्टेरॉयड दवाइयां देने की भी जरूरत पड़ती है। आजकल कुछ लोग गूगल पर देख कर दवाओं के साइड इफेक्ट और तमाम चीजों को लेकर भ्रांति पाल लेते हैं। इस तरह से कोई भी व्यक्ति अपने आप डॉक्टर न बने। डॉक्टर स्थिति ठीक न होने पर खून की जांच, एक्सरे और अन्य जांच करने के बाद ही स्टेरॉयड और अन्य दवाएं देते हैं। साथ ही उन दवाओं के साइड इफेक्ट कम करने के लिए भी दूसरी दवाएं दी जाती हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं और अन्य उपचार कराएं। डाॅ बिष्ट बताते है कि इस में मरीज के साथ साथ डाॅ का भी अहम रोल होता है। डाॅ को चाहिए कि वह अपने मरीजों के साथ लगातार संर्पक में रहे और उन्हें सलाह देते रहे ही उनकी स्थिति सामान्य है साथ ही कोरोना मरीजों में जो डर पैदा किया जा रहा है उसे भी समाप्त करना चाहिए।


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