उत्तराखण्डः डीएम साहबों ने शासन को नहीं भेजी अभी तक जमीन खरीद-फरोख्त की रिपोर्ट
देहरादून। भू-कानून के प्रावधानों के विपरीत भूमि की खरीद-फरोख्त की रिपोर्ट शासन को अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को अनिवार्य रूप से एक सप्ताह के भीतर राजस्व परिषद् के माध्यम से ब्यौरा देने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों की माने तो अभी तक एक भी जिलाधिकारी ने रिपोर्ट नहीं भेजी हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव ने रिपोर्ट तलब की थी। सरकार की मंशा राज्य के बाहर के उन लोगों का पता लगाना है जिन्होंने उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) ( अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001) में किए गए संशोधन के विपरीत सीमा से अधिक भूमि खरीदी हैं। अधिनियम में साल 2007 में यह संशोधन हुआ था, जिसके तहत निकाय क्षेत्रों से बाहर राज्य में कोई भी व्यक्ति स्वयं या अपने परिवार का घर बनाने के लिए अधिकतम 250 वर्ग मीटर भूमि खरीद सकता है। लेकिन सरकार को शिकायते मिली कि एक ही परिवार के सदस्यों ने अलग-अलग भूमि खरीदकर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
मुख्य सचिव ने ऐसे मामलों की जांचकर इनकी रिपोर्ट देने को कहा था। इसके अलावा मुख्य सचिव ने विभिन्न प्रयोजनों से खरीदी गई भूमि के उचित उपयोग का भी ब्यौरा मांगा। दरअसल, सरकार के पास यह खबर है कि कई लोगों ने नियमों में छूट का फायदा उठाकर भूमि तो खरीद ली, लेकिन उस प्रयोजन से उसका उपयोग नहीं किया। इसके अलावा वर्ष 2018 और 2020 में अधिनियम में हुए संशोधन के तहत 12.50 एकड़ की सीमा से अधिक खरीदी गई भूमि की रिपोर्ट भी मांगी है।
मुख्य सचिव ने यह आदेश राजस्व परिषद् के आयुक्त एवं सचिव और गढ़वाल-कुमाऊं के आयुक्तों को भी भेजा। लेकिन, राजस्व परिषद् को अभी तक एक भी जिले से रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
हालांकि राजस्व परिषद आयुक्त एवं सचिव चंद्रेश यादव का कहना है कि राज्य से बाहर होने की वजह से वह इस बारे में सात नवम्बर लौटने के बाद ही ताजा जानकारी बताने की स्थिति में होंगे।