उत्तराखण्डः धाकड़ धामी और टीएसआर में बढ़ी अदावत, ये मामले करते है इशारा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
देहरादून। उत्तराखण्ड में इन दिनों भाजपा की आंतरिक विवाद खुलकर सतह पर आने लगी है। गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत और पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के हालिया बयान इस ओर इशारा करते हैं। प्रदेश में धाकड़ धामी की अगुवाई वाली सरकार है, जो उत्तराखण्ड की स्थापना के रजत जयंती के मौके पर सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का दावा पेश कर रही है। साथ ही धामी सरकार जल्द ही प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने का भी दावा पेश कर रही है। इसके लिए बाकायदा एक समिति कार्य कर रही है। लेकिन बावजूद इसके धामी सरकार को भाजपा के पूर्व मुख्य मंत्री चुनौती पेश कर रहे है। जिनके मीडिया में आये बयान के बाद सरकार की काफी किरकिरी भी हुई है। ऐसा मालूम होता है कि भाजपा के ही दो पूर्व सीएम ने सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है।
बढ़ गया है भ्रष्टाचार-त्रिवेन्द्र सिंह रावत
हालांकि पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने अभी तक सीएम पुष्कर सिंह धामी की खुलकर खिलाफत नही की है लेकिन इशारों ही इशारों में भ्रष्टाचार के मामले में धामी सरकार को घेरा है। पूर्व सीएम ने कहा कि सिस्टम में भ्रष्टाचार बढ़ गया है और ये उत्तराखंड के लिए घातक है।
छावला केस का मामला
दिल्ली के छावला केस मामले में उत्तराखण्ड की बेटी किरन नेगी के मामले में सीएम धामी ने का बयान आया कि कि राज्य सरकार परिजनों को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इसके बाद किरन नेगी मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। लेकिन इस मामले में पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने सीएम पुष्कर सिंह धामी का नाम ना लेकर राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी का नाम लिया।
एसएलपी वापसी पर धामी सरकार का यू-टर्न
धामी की अगुवाई वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक एसएलपी की वापसी से अचानक प्रदेश की राजनीति गरमा गई थी। ये मामला पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत से सीधे जुड़ा हुआ था। जिससे के बाद त्रिवेन्द्र खेमा धामी सरकार के इस फैसले से नाखुश था। बताया जाता रहा है कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हाईकमान के सामने इस फैसले पर नाराजगी जताई। जिसके बाद हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद धामी सरकार को अपने इस फैसले पर यू-टर्न लेना पड़ा।
पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र के बयान जो धामी सरकार के लिए बनी मुसीबत
पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने यूकेएसएसएससी आयोग को भंग करने की बात कहकर धामी सरकार को असमंजस में डाला। विधानसभा में भाई-भतीजावाद के तहत नौकरी देने के मामले में सीबीआई जांच कराने की बात कही। वहीं विधानसभा भर्तियों को सार्वजनिक रूप से नियमों के खिलाफ बताया था। भर्तियों में गड़बड़ी पर बेरोजगारों के साथ धोखा होने की बात कही। वहीं अंकिता भंडारी हत्यकांड मामले में पर भी सरकार को जल्दबाजी न करने की सलाह भी दी।
त्रिवेन्द्र के खिलाफ धामी सरकार ने बनाया माहौल
धामी सरकार के कई ऐसे फैसले है जिनसे ऐसा जाहिर होता है कि पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र के खिलाफ सरकार ने माहौल बनाने का प्रयास किया। देवस्थानम् बोर्ड का फैसला पलटा जिससे त्रिवेन्द्र सिंह रावत बैकपुट पर नजर आये। वहीं यूकेएसएससी पेपर लीक मामले में त्रिवेन्द्र सिंह रावत के जांच की मांग करने पर आरोपी हाकम सिंह का नाम पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र से जोड़ा जाने लगा। पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने डोईवाल विधानसभा के तहत सूर्यधार झील का प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया लेकिन आज तक यह प्रोजेक्ट लटका हुआ है। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने इस प्रोजेक्ट की खिलाफत की और इस पर जांच बैठाई गई।
बढ़ गई है कमीशनखोरी-तीरथ सिंह रावत
मामला यहीं नहीं थमा, कुछ ही दिनों के लिए उत्तराखंड के सीएम रहे तीरथ सिंह रावत ने कमीशनखोरी की बात कहकर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर दिये तीरथ सिंह रावत का ये कहना कि यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड में कमीशनखोरी बढ़ गई है, अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने जैसा है। यानी साफ है कि दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों ने मौजूदा सीएम के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी।