उत्तराखण्डः निशंक के आवास पर पहुंचे कैलाश विजयवर्गीय, सियासी चर्चाओं का बाजार हुआ गरम
देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव मतगणना को महज तीन दिनों का फासला रह गया है। भाजपा कांग्रेस दोनों ही पार्टियां बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही हैं। 10 मार्च को मतगणना के साथ ही साफ हो जाएगा कि प्रदेश की जनता ने किस राजनीतिक को जनादेश दिया है। लेकिन भितरखाने इन राजनीतिक दलों के रणनीतिकारों को बहुमत के आंकड़ा छूने में अभी संशय है, लिहाजा वे मतगणना से पहले ही बहुमत ना आने की सूरत में सरकार बनाने की कसरत में जुटे हुए हैं।
भाजपा की बात करें पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री रहे हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक इन दिनों पार्टी से लेकर संगठन स्तर तक चर्चाओं में बने हुए हैं। कुछ दिन पहले उन्हें केंद्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा ने नई दिल्ली बुलाया था। इसके बाद अब भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को मिलने खुद देहरादून पहुंचे हैं।
रविवार को डॉ. निशंक के निजी आवास पर पहुंचे कैलाश विजयवर्गीय को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय को इससे पहले बंगाल चुनाव और उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं सौंपी गई हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और के बहुत करीबी बताए जाते हैं। ऐसे में तमाम कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं निशंक को भाजपा फिर से कोई बड़ी जिम्मेदारी तो नहीं सौंपने जा रही है? वहीं, दूसरी ओर पूर्व सीएम व वर्तमान हरिद्वार सांसद निशंक एक दिन पहले राज्यपाल से भी मिल चुके हैं। हालांकि यह उनकी निजी मुलाकात थी, लेकिन फिर भी तरह-तरह की सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है।
राजनीति की परख रखने वाले जानकारों की मानें अगर भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो ऐसे में जोड़-तोड़ की राजनीति होगी। जिसमें निशंक को महारथ हासिल है। भाजपा पूर्ण बहुमत न मिलने पर निर्दलीय से लेकर यूकेडी, बसपा आदि दलों के जीतने वाले प्रत्याशियों को अपने पक्ष में कर सरकार बनाने के लिए निशंक को बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। मतगणना से पहले जहां सभी बड़े नेता दिल्ली का रुख कर रहे हैं, वहीं वरिष्ठ केंद्रीय नेता कैलाश विजयवर्गीय का दून पहुंचना अपने आप में कई तरह के सियासी कयास को हवा दे रहे हैं। यही नहीं भितरघात के आरोप की बयानबाजी करने वाले नेताओं को भी निशंक शांत करने में सक्षम हैं। अब देखना होगा कि पार्टी पूर्व और हरिद्वार सांसद सीएम निशंक को 10 मार्च के बाद किस भूमिका में प्रदेश की राजनीति में धरातल पर उतारती है।