उत्तराखंडः कोविड-19 सलाहकार समिति ने सौंपी रिपोर्ट, कहा- युवाओं की जा रही जान, सरकार चिंता में

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देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर इस बार बुजुर्गों ही नहीं, बल्कि युवाओं को भी अपना शिकार बना रही है। कोरोना की पहली लहर में युवाओं पर कोरोना ने इतना अटैक नही किया था, लेकिन दूसरी लहर में कोरोना युवाओं पर न सिर्फ अटैक कर रहा है, बल्कि उनकी जान भी ले रहा है। इस ओर गंभीरता से सोचते हुए छोटे से छोटे अस्पतालों में भी टेस्ट और इलाज शुरू करने पर जोर देने की जरूरत है। लोगों को हल्की खांसी, बुखार आदि होने पर तुरंत जांच करानी होगी और दवाई लेनी होगी। कोविड-19 से जुड़ी सलाहकार समिति ने सरकार को अपनी यह रिपोर्ट सौंपी है। साथ ही जांच रिर्पोट में प्रदेश में कोरोना को लेकर लापरवाही का भी खुलासा किया गया है।

दरसल प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना रोकथाम के लिय प्रदेश स्तर पर सक समिति का गठन किया गया है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे का निर्णय लेगी। समिति के अध्यक्ष एवं एचएनबी मेडिकल विवि के कुलपति प्रो.हेमचंद्र और दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.आशुतोष सयाना ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तीन दिन के भीतर दून अस्पताल में 37 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई। इनमें 50 वर्ष से कम आयु के 10, 51 से 60 वर्ष आयु के 12 और 60 वर्ष से अधिक आयु के 15 मरीज थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में कोरोना कितना विकराल हो गया है। साथ ही 50 वर्ष से कम उम्र के नौजवों की इस प्रकार मौत बताती है कि प्रदेश में कोरोना को हराने के लिये प्रदेश सरकार को व्यापक प्रबंध करने होंगे। अगर समय रहते यह नही किया गया तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।

वहीं मरने वालों में 43 प्रतिशत महिलाएं और 57 प्रतिशत पुरुष शामिल थे। 70 प्रतिशत मामले ऐसे थे, जिनमें मरीज में पांच दिन के भीतर जानलेवा लक्षण आए। 50 प्रतिशत मामले सीधे दून अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के थे, जबकि 50 प्रतिशत मामलों में मरीज अन्य अस्पतालों से यहां रेफर होकर आए थे।

27 प्रतिशत मरीज भर्ती होने के 12 घंटे के भीतर ही मर गए

समिति ने अपनी रिर्पोट में यह भी पाया है कि 58 प्रतिशत मरीज भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर मर गए, जबकि 27 प्रतिशत मरीज भर्ती होने के 12 घंटे के भीतर ही मर गए। इन लक्षणों के आधार पर समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी है। इसमें सलाह दी गई है कि कोविड से बचाव के सभी दिशा-निर्देशों का बेहद कड़ाई से पालन कराने की जरूरत है। यह एक बहुत ही चैकाने वाला खुलाकसा समिति द्वारा किया गया है। इसके अलावा हर सीएचसी, पीएचसी स्तर तक भी कोविड जांच और इलाज की व्यवस्था की जाए। यहां मरीज के गंभीर होते ही उसे सीधे हायर सेंटर रेफर किया जाए। इससे कोरोना से होने वाली मौतों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

समिति ने यह भी पाया है कि अभी भी अधिकतर लोग कोरोना के लक्षण होने पर घरेलू उपचार को तवज्जो दे रहे हैं, जिस वजह से महामारी फैल रही है। लिहाजा, जागरूकता पर बल दिया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लक्षण आने पर तत्काल अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएं और इलाज कराएं।

कोविड की दूसरी लहर में वायरस काफी जहरीला है। बुखार आदि के लक्षण आने पर भी लोग जांच और इलाज के बजाए घर पर ही उपचार ले रहे हैं, जिस वजह से इसका प्रकोप बढ़ता जा रहा है। लोगों को जागरूक करना होगा, ताकि वह समय से जांच और इलाज कराएं। तभी जाकर कोरोना के प्रकोप से निजात मिलेगी।
-प्रो. हेम चंद्र, अध्यक्ष, सलाहकार समिति