क्या है सड़को से लेकर सदन तक हंगामे की वजह, श्राइन बोर्ड का पूरा मामला ?
देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को उत्तराखंड चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक 2019 सदन के पटल पर रख दिया है. यह वही विधेयक है जिसको लेकर इसे कई दिनों से लगातार विवाद जारी है. चारों धामों के तीर्थ पुरोहित सड़कों पर उतरे हैं, इधर एक तरफ तीर्थ पुरोहित इसका विरोध कर रहे हैं वही कांग्रेस भी इसके विरोध में उतर गई है. सोमवार के दिन प्रश्नकाल के समय विपक्ष द्वारा श्राइन बोर्ड के विरोध के साथ ही पूरा विपक्ष इस मामले को लेकर इतना मुखर था. कि सदन की कार्यवाही पांच बार के लिए स्थगित करनी पड़ी. अब आपको बताते हैं श्राइन बोर्ड की कुछ खास बातें-
उत्तराखंड श्राइन बोर्ड, वैष्णो देवी, मंदिर साईं बाबा मंदिर, जगन्नाथ और सोमनाथ मंदिरों की तरह काम करेगा. इस बोर्ड के सीईओ यानी मुख्य कार्यकारी अधिकारी का हिंदू धर्म का अनुयाई होना आवश्यक है. इस बोर्ड का अध्यक्ष मुख्यमंत्री उत्तराखंड को बनाया जाएगा, अगर मुख्यमंत्री हिंदू धर्म के नहीं होते हैं तो मंत्रिमंडल का कोई एक वरिष्ठ हिंदू धर्म अनुयाई सदस्य इसका अध्यक्ष बनेगा. श्राइन बोर्ड का उपाध्यक्ष संस्कृत एवं धर्मस्व मंत्री को बनाया जाएगा इस बोर्ड में आठ शासकीय अधिकारी सदस्य होंगे. जबकि 6 सदस्य इसमें हक हकूक धारी होंगे. श्राइन बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का होगा, जिसे राज्य सरकार अपने अनुसार रिन्यू कर सकती है.
इस एक्ट के तहत श्राइन बोर्ड के अतिरिक्त एक हाई पावर कमेटी का भी गठन किया जाएगा. जिसमें मुख्य सचिव अध्यक्ष होंगे, प्रमुख सचिव/ सचिव राजस्व, पर्यटन, सस्कृति,राजस्व,वित्त,च्ॅक्, आईजी गढ़वाल, कमिश्नर गढ़वाल समेत एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी इस कमेटी सदस्य होंगे.श्राइन बोर्ड की 6 महीने में एक बार बैठक करना अनिवार्य रहेगा. बोर्ड में पुजारी न्यासी तीर्थ पुरोहितों पन्डो एवं संबंधित हक हक्कुक धारी, पुजारियों को वर्तमान में प्रचलित अधिकार यथावत रखे जायेंगे. इस श्राइन बोर्ड एक्ट लागू होते ही चारों धामों में आने वाले सभी मंदिर और उनकी संपत्तियों, परिसंपत्ति बोर्ड में समायोजित हो जाएगी, यानी कि इन सभी संपत्तियों और परिसंपत्तियों पर चार धाम श्राइन बोर्ड का पूर्ण तरीके से अधिकार रहेगा. उसके बाद दुकान,पार्किंग,कैंटीन समेत सभी चीजों को यह बोर्ड ही आवंटन कर सकेगा.
इधर इस मामले को लेकर सरकार का साफ़ कहना है की जिन मुद्दों पर दिक्कत है तीर्थ पुरोहित आयें और बात करें मदन कौशिक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार ने पुरोहितों के अधिकार सुरक्षित राखे हैं.वहीँ दूसरी ओर तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार की नजर चार धाम से होने वाली कमाई के पैसों पर है जिसे किसी भी हालत में सहा नहीं जायेगा.आन्दोलन कर रहे तीर्थ पुरोहित अब आन्दोलन को जिलेवार उग्र करने की रणनीति बना रहे हैं.