उत्तराखंड: बारिश और बादल फटने की घटना का पहले चल सकेगा पता,वेधशाला स्थापित

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पहाड़ में बारिश और बादल फटने की घटना का पहले पता चल सकेगा। स्वामी रामतीर्थ परिसर में बादलों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वेधशाला स्थापित कर दी गई है।

यहां पांच करोड़ की लागत से सीसीएन काउंटर, क्लाउड ड्राप्लेट प्रोब और ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाया गया है। इन मशीनों से 200 किलोमीटर हवाई रेंज में होने वाली हलचलों को मापा जा सकेगा। विशेषज्ञों का दावा है कि अगले दो माह में प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के बाद बारिश और बादल फटने का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा।

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसे देखते हुए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग व आईआईटी कानपुर के सहयोग से स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाहीथौल में बादलों की निगरानी से संबंधित वेधशाला खोले जाने का कार्य जून माह में शुरू हो गया था।

अब आईआईटी कानपुर की ओर से वेधशाला में बादलों की निगरानी के लिए 5 करोड़ की लागत से बादल संघनन नाभिक, क्लाउड ड्राप्लेट प्रोब और ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन मुहैया कराया गया है। इन सभी मशीनों को परिसर स्थित वेधशाला में विधिवत लगा दिया गया है। इन मशीनों से डाटा मिलना भी शुरू हो गया है। इन आंकड़ों को दो माह तक एकत्रित करने के बाद विश्लेषण कार्य किया जाएगा। इसके बाद बारिश और बादल फटने का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। इस तरह की पहली वेधशाला महाराष्ट्र के महाबलेश्वर (पुणे) में स्थापित है।

वेधशाला में बादलों की गतिविधियों की मानीटरिंग के लिए तीन हाईटेक मशीनों को इंस्टॉल करने के बाद डाटा मिलना शुरू हो गया है। इन मशीनों से लिए जा रहे आंकड़ों को दो माह तक इकट्ठा कर विश्लेषण किया जाएगा। इसके बाद बारिश और बादल फटने की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा।
– डा. आलोक सागर गौतम, प्रोजेक्ट निदेशक, वेधशाला

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