क्या इन 27 विधायकों को नहीं है अपने क्षेत्र की चिंता ?
देहरादून। उत्तराखंड में आज से शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो गयी है। लेकिन विधानसभा सत्र में इस बार प्रदेश के विधायकों का बेहद निराशाजनक रवैया देखने को मिल रहा है। जी हां विधानसभा शीतकालीन सत्र में अपने क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर 70 में से सिर्फ 30 विधायकों ने ही सवाल उठाये हैं। जबकि 27 विधायक ऐसे हैं जिन्होंने एक भी सवाल अपने क्षेत्र या जन समस्या से जुडा नहीं पूछा है। विधायकों के सवाल न पूछे जाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि सत्र में विधायकों के पास सरकार से प्रश्न पूछना का एक जरिया होता है। जहां विधायक बेबाकी से अपने क्षेत्र की समस्याएं उठा सकते हैं और सरकार से सीधे पूछ सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सभी विधायकों से उनकी अपील है कि वह क्षेत्र और आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रश्न पूछे। आपको बताते चलें कि उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र अगले 10 दिसंबर तक प्रस्तावित है.
आज से शुरू होने वाले सत्र का कामकाज अगले 5 दिन तक चलेगा। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के 27 विधायकों द्वारा एक भी सवाल न पूछा जाना चर्चा का विषय बना हुआ है। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा नेता प्रतिपक्ष सवाल नहीं पूछ सकते। शीतकालीन सत्र में जिन 30 विधायकों ने सवाल पूछे, उनमें 17 विधायक मैदान के हैं जबकि 13 विधायक पहाड़ के हैं। सवाल पूछने वाले विधायकों में मनोज रावत, देशराज कर्णवाल, प्रीतम सिंह पंवार, ममता राकेश, आदेश चौहान, राम सिंह कैड़ा, हाजी फुरकान, अहमद काजी निजामुद्दीन, हरभजन सिंह चीमा, धन सिंह नेगी, राजकुमार, प्रीतम सिंह, सौरभ बहुगुणा, सुरेंद्र सिंह जीना, संजय गुप्ता, स्वामी यतिस्वरानंद, चंदन राम दास, पूरण सिंह फर्त्याल, खजान दास, कुंवर प्रणव चैंपियन, पुष्कर सिंह धामी, नवीन चंद्र दुमका, राजेश शुक्ला, सुरेश राठौर, सुरेंद्र सिंह नेगी, दिलीप सिंह रावत, सहदेव सिंह पुंडीर, केदार सिंह रावत और गणेश जोशी शामिल है। शीतकालीन सत्र में इन 30 विधायकों द्वारा 833 सवाल पूछे गए हैं।