राज्य आंदोलनकारी, तीर्थ-पुरोहित, हक हकूकधारी, गन्ना किसान सभी नाराज, हरदा का मिल रहा साथ।
देहरादून। इन दिनों उत्तराखण्ड विधानसभा शीतकालीन सत्र गैरसैंण की जगह देहरादून में कराने के निर्णय से जहां राज्य सरकार फजीहत हुई है वहीं उत्तराखण्ड आंदोलनकारीयों ने भी गुरूवार को विधानसभा के बाहर जमकर हंगामा किया. इसके साथ ही उत्तराखंड में गैरसैंण राजधानी और विधानसभा सत्र को लेकर जहां एक तरफ पूर्व सीएम हरीश रावत लगातार उपवास और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं गन्ना किसानों और चारधामों के लिए श्राइन बोर्ड गठन के फैसले को लेकर भी हरीश रावत ने देहरादून में विरोध जताया. सत्र के दुसरे दिन हरीश रावत ने पहले गन्ना किसानों को लेकर धरना दिया वहीँ दूसरी ओर धरने के बाद हरीश रावत ने चारधामों के लिए श्राइन बोर्ड गठन के फैसले को लेकर विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहितों के साथ बुद्धि शुद्धि यज्ञ किया. हरीश रावत ने कहा कि सरकार तीर्थ पुरोहितों को सिर्फ एक नजरिये से ना देखे, बल्कि तीर्थ पुरोहितों और हक हकूक धारियों की कई मायनों में चारों धामों में महत्ता है.
आपको बताते चलें कि विधानसभा सत्र के पहले दिन चारों धामों के तीर्थ पुरोहित और हक हकूक धारी केदारनाथ विधायक मनोज रावत के नेतृत्व में विधानसभा कूच के लिए पहुंचे थे. यहाँ उनके साथ बदरीनाथ, केदारनाथ के अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थपुरोहितों और हक़ हकूक धारियों ने इसका पुरजोर विरोध किया था. पूरे प्रदेश के चारों धामों से जुड़े तीर्थ पुरोहित इसे हक हकुकों पर सरकार के एकाधिकार की बात कर रहे हैं. पुरोहित समाज का कहना है यदि ऐसा किया गया तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा. इधर अनुपूरक बजट में राज्य सरकार ने 10 करोड़ रुपये चारधाम श्राइन बोर्ड के लिए दे दिया है.
लेकिन चार धाम के तीर्थ-पुरोहित और हक हकूकधारियों ने ऐलान कर दिया है कि इस बार न कोई चल-विग्रह डोली उठेगी और न ही तीर्थ पुरोहित कोई धार्मिक अनुष्ठान करवाएंगे. चारों धामों में सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहेंगे और डोली-खच्चर भी नहीं चलेंगे. चार धाम श्राइन बोर्ड के लिए बजट में 10 करोड़ रुपये के प्रावधान को एक हफ़्ते में दूसरी बार पीठ में छुरा भोंकने का काम कहते तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारी महापंचायत ने लंबे आंदोलन का ऐलान भी कर दिया है.