September 22, 2024

उत्तराखंडः प्रदेश की महिलाओं को मिला पैतृक सम्पत्ति में साझेदारी का हक, पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने गैरसैण सत्र में पास कराया था ये विधेयक

दस्तावेज डेस्क। पैतृक संपत्ति में उत्तराखंड की आधी आबादी को सहखातेदार बनाने का काम शुरू हो गया है। प्रदेशभर में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) संशोधन 2021 लागू कर दिया गया है।

त्रिवेंद्र सरकार में गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान यह संशोधन विधेयक पास हुआ था। इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद यह प्रदेशभर में लागू हो गया है। इसके तहत महिलाओं को पैतृक संपत्ति में सहखातेदार बनाया जा रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने अपने मुख्यमत्री काल के दौरान उत्तराखण्ड की जनभावनाओं के अनुकूल तमाम फैसले लिए। प्रदेश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से पूर्ववर्ती त्रिवेन्द्र सरकार पैतृक संपत्ति में सह खातेदार का अधिकार लेकर आई। पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत कहते है कि उत्तराखंड का अधिकांश भाग पहाड़ी है। यहां औद्योगिक गतिविधियां सीमित हैं। राज्य के अधिकांश पुरुष सरकारी सेवा अथवा निजी संस्थानों में रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में कार्यरत हैं। जबकि महिलाएं ज्यादातर यहीं रहती हैं।

ऐसे में भूमि और संपत्ति में पुरुषों का अधिकार होने के कारण आर्थिक विकास की गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पा रही थी। लिहाजा आर्थिक विकास की गतिविधियों में प्रदेश की मातृशक्ति की भागदारी सुनिश्चित हो इस सोच के साथ हमने ये फैसला लिया।

इससे पहले प्रदेश की माता और बहनें स्वरोजगार या उद्यम स्थापित करने के लिए बैंकों से लोन भी नहीं ले पा रही थीं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उन्हें पैतृक संपत्ति में सहखातेदार का अधिकार दिया गया है। अब वह उस पैतृक संपत्ति पर ऋण लेकर अपने उद्यम स्थापित कर सकती हैं।

इस कानून के मुताबिक पुरुष भूमिधर, जो संक्रमणीय अधिकार वाला भूमिधर है, उसके जीवनकाल में उसकी पत्नी का नाम पति के अंश के रूप में सह खातेदार के रूप में दर्ज होगा। यह उपबंध केवल पुरुष संक्रमणीय भूमिधर की पैतृक संपत्ति पर ही लागू किया गया है। विवाह विच्छेद के पश्चात दोबारा विवाह पर महिला, पूर्व पति के अंश में सह खातेदार नहीं होगी।

 

 


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