November 24, 2024

यूटीयू के कुलपति ने दिया इस्तीफा, विवादों की लंबी रही है फेहरिस्त

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देहरादून: उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) के कुलपति प्रो० नरेंद्र एस० चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है और नियमित कुलपति की नियुक्ति तक श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डा० पी० सी० ध्यानी को अस्थायी तौर पर उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय का दायित्व सौंपा है।

प्रो० चौधरी ने अपने पत्र में इस्तीफा का कारण ‘निजी’ बताया है लेकिन शासन और कुलपति के बीच टकराव इसकी मूल वजह बताई जा रही है। यूटीयू में प्रो० चौधरी दो साल तीन माह तक कुलपति रहे।

यूटीयू में प्रो. चौधरी का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनकी नियुक्ति के कुछ समय बाद ही पीएचडी, भर्ती में धांधली और कॉलेजों की संबद्धता को लेकर यूटीयू और शासन के बीच भारी गतिरोध रहा। इन मामलों में कई बार शासन और यूटीयू आमने-सामने आ गए।

विश्वविद्यालय में कुलसचिव नियुक्ति मामले में भी कुलपति प्रो० नरेन्द्र चौधरी और शासन के बीच बड़ा टकराव हुआ। कुलसचिव को एकतरफा कार्यमुक्त कर उन्होंने एक तरह से शासन को खुली चुनौती दे दी थी। अक्टूबर 2020 में प्रो० चौधरी की बुलाई कार्य परिषद को लेकर भी शासन ने सवाल खड़े किए थे। लगातार विवादों में रहने वाले कुलपति नरेन्द्र सिंह चौधरी की मनमानी कार्यशैली के चलते उनके खिलाफ शासन की ओर से जांच भी चली।

जब राज्यपाल से लगी थी फटकार

प्रो० नरेंद्र एस० चौधरी की कार्य शैली से राजभवन भी नाखुश है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य उनको कुलपतियों की बैठक में न सिर्फ फटकार लगा चुकी हैं, बल्कि विश्वविद्यालय की बेकदरी के लिए उन को जिम्मेदार भी ठहराया।

जब चली थी जांच

उत्तराखंड तकनीकी विवि के कुलपति डॉ. नरेंद्र चौधरी जांच के फंदे में भी घिर चुके हैं। सरकार ने उनके खिलाफ तीन सदस्यीय जांच समिति भी बनाई थी। समिति ने कुलपति के समस्त क्रिया-कलापों की जांच कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। समिति ने चौधरी द्वारा विवि की कार्य परिषद की बैठक के फैसलों को बदलने को लेकर जांच की थी। उन्होंने कॉलेजों को संबद्धता मामले में अनैतिक ढंग से मदद करने की कोशिश की थी।

रजिस्ट्रार विवाद

प्रो० नरेंद्र चौधरी की रजिस्ट्रार डॉ. अनीता राणा से भी टकराव हुआ। दरअसल चौधरी ने रजिस्ट्रार राणा को कार्यमुक्त कर दिया था। रजिस्ट्रार विवि में शासन का प्रतिनिधि होता है। उसकी तैनाती और हटाने के हक शासन को ही है। इसीलिए शासन ने इस फैसले को पलट दिया था। इसके बाद रजिस्ट्रार ने कुलपति के क्रिया कलापों और कार्य शैली के बारे में शासन तथा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को बताया। जिसके बाद सरकार ने कुलपति को आड़े हाथों लिया और उनके खिलाफ जांच बिठा दी।

टीएचडीसी-आईएचईटी प्रोफेसर विवाद

प्रो० नरेंद्र चौधरी ने टीएचडीसी-आईएचईटी में तैनात प्रोफेसर अरविंद को गैर कानूनी ढंग से बर्खास्त कराने में अहम भूमिका निभाई थी। वह कॉलेज की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की उस बैठक में मौजूद थे, जिसमें बिना एजेंडे के ही प्रो. अरविंद को नौकरी से निकाल दिया था।