काशी देखते ही देखते कैसे बन रहा UP का सबसे बड़ा टूरिस्ट हब?

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उत्तर प्रदेश का शहर बनारस, हमेशा से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है. इस शहर में कुछ खास है. ऐसा कहा जाता है कि जो यहां एक बार आता है, महादेव का हो जाता है. दोबारा यहां की खूबसूरती उसे फिर से खींच लाती है. इस शहर को काशी, आनंदवन और अविमुक्तक्षेत्र नामों से भी जाना जाता है.

घातक वायरस कोरोना से यह शहर भी अछूता नहीं रहा. कोविड काल के दौरान यहां के मंदिर भक्तों के लिए बंद कर दिए गए, तब पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट देखने को मिली थी. लेकन उस वक्त काशी विश्वनाथ कोरिडोर का काम अंदर ही अंदर किया जा रहा था. फिर कोरोना संकट के खात्मे के साथ यह काशी विश्वनाथ कोरिडोर भी बनकर तैयार हो गया था.साल 2022 में पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, लाखों की संख्या में लोग वाराणसी पहुंचे.

मंदिरों का शहर बनारस

बनारस को मंदिरों का शहर कहा जाता है. वैसे तो पहले से ही बड़ी संख्या में वाराणसी में पर्यटक बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आते रहे हैं. लेकिन, जब से यहां काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण हुआ है, पहले के मुकाबले यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ गई है. यहां के गंगा घाट पर होने वाली आरती काफी प्रसिद्ध है. यहां पर हिंदू ही नहीं, बौद्ध धर्म और जैन धर्म समुदाय के लोग भी काफी संख्या में आते हैं.

चार क्रूज का संचालन हो रहा

यहां अब गंगा में चार क्रूज का संचालन हो रहा है. क्रूज के संचालकों का कहना है कि इनके टिकट दो माह पहले ही बुक हो जा रहे हैं. पर्यटन की दृष्टि से शहर के उस पार गंगा के रेत पर सैलनियों के लिए टेंट सिटी का निर्माण किया गया. इसके अलाावा पर्यटकों को लुभाने के लिए पर्यटन विभाग बैलून फेस्टिवल सहित तमाम सांस्कृतिक गतिविधियां भी संचालित कर रहा है.

जल्द ही रोपवे

बनारस की सड़कों पर अक्सर जाम की स्थिति बन जाती है. इसकी वजह शहर की बढ़ती आबादी और पर्यटकों का बोझ है. हालांकि, जल्द ही इस समस्या से मुक्ति मिलने की संभावना है. क्योंकि सरकार शहर में रोपवे सेवा शुरू करने जा रही है. समय के साथ गंगा में टैक्सी बोट के संचालन की भी योजना है. लेकिन, नाविक को आशंका है कि टैक्सी बोट की वजह से कहीं उनका रोजगार न छिन जाए. काशी में अब तक जी-20 देशों की दो बैठकें भी हो चुकी हैं. अगस्त में भी बैठकें प्रस्तावित हैं.