पश्चिम बंगाल चुनाव बाद हिंसा: कलकत्ता एचसी ने अदालत की निगरानी में CBI जांच का दिया आदेश
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के सभी मामलों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आदेश दिया है। पांच जजों की बड़ी बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुबह 11 बजे फैसला सुनाया।
अदालत ने जांच के लिए एक एसआईटी गठित करने का भी आदेश दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल कैडर के वरिष्ठ अधिकारी टीम में शामिल हों।
हालांकि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में हर किसी को अपनी विचारधारा फैलाने का अधिकार है, लेकिन किसी को भी हिंसा फैलाने की इजाजत है। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।”
समिति ने अंतिम रिपोर्ट में अपनी टिप्पणी में कहा था, “यह सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक हिंसा थी। इसने बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने की सिफारिश की और कहा कि मामलों की सुनवाई राज्य के बाहर की जानी चाहिए।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2 जुलाई को भी इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार चुनाव समाप्त होने के बाद मई में हुई हिंसा के बारे में इनकार कर रही है। यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि चुनाव के बाद हिंसा वास्तव में हुई थी।
NHRC समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों और सिफारिशों का विरोध करते हुए पश्चिम बंगाल DGP का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया था कि यह गलत और पक्षपातपूर्ण था, यह कहते हुए कि NHRC पैनल के कुछ सदस्यों के विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के साथ संबंध थे।
चुनाव के बाद की हिंसा में जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि लोगों के साथ मारपीट की गई, घरों से भागने के लिए मजबूर किया गया और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया।