September 22, 2024

कार्बेट पार्क में वीआईपी राज पर प्रहार, नेताओं और अधिकारियों की नहीं चलेगी सिफारिश

देहरादूनः देश सबसे पुराना नेशनल पार्क जल्द वीआईपी कल्चर से मुक्त हो गया है। इसके लिए कार्बेट पार्क के निदेशक संदीप चतुर्वेदी ने आदेश भी जारी कर दिया है। दरअसल केंद्र सरकार की वीआईपी कल्चर को खत्म करने की मुहीम से यह सब संभव हो सका। अब उत्तराखंड राज्य अतिथि नियमावली की सूची-एक में शामिल संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को ही वीआइपी ट्रीटमेंट मिल सकेगा।

दरअसल पार्क में सफारी व ठहरने के लिए लोग ऊंची पहुंच का इस्तेमाल कर अफसरों सिफारिशी करवाते थे। लेकिन अब वीआईपी पत्रों को तुरंत वापस लौटाया जाएगा। यही नहीं, अफसरों के पत्रों के बारे में उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जाएगा कि वे व्यक्तिगत कार्यों के लिए किस प्रकार अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।

वर्ष 1936 में अस्तित्व में आए देश के सबसे पुराने कार्बेट नेशनल पार्क का प्रबंधन लंबे अर्से से वीआइपी दौरों से परेशान था। सरकारी तंत्र से लेकर राजनीतिज्ञों की ओर से अक्सर कार्बेट पार्क में सफारी के साथ ही वन विश्राम गृहों में ठहरने समेत अन्य व्यवस्थाओं की मांग की जाती रही। खुद के साथ ही नाते-रिश्तेदारों तक के लिए पत्राचार हो रहा था।

वीआइपी के लिए व्यवस्थाएं जुटाने को पार्क के अमले को खासी मशक्कत करनी पड़ रही थी, जबकि इसका सरकारी कार्मिकों के दायित्व निर्वहन से कोई वास्ता नहीं है। वह भी तब जबकि पार्क में कार्मिकों की कमी है।

इस आदेश के मुताबिक उत्तराखंड सरकार ने राज्य अतिथियों के लिए नियम बनाए हैं। राज्य अतिथि नियमावली की सूची-एक में साफ है कि देश के कौन-कौन से संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति राज्य अतिथि होंगे। इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश, कैबिनेट सचिव, तीनों सेनाओं के प्रमुख समेत चुनिंदा नाम हैं। इसके अलावा सूची-दो में उन लोगों को राज्य अतिथि माना गया है, जो सरकारी कार्य से उत्तराखंड आते हैं।


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